Jabalpur News: मध्य प्रदेश को विकास की नई सौगात मिली है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री मोहन यादव ने रविवार को जबलपुर में प्रदेश के अब तक के सबसे लंबे फ्लाईओवर का लोकार्पण किया। बताया जा रहा है कि इस ऐतिहासिक फ्लाईओवर के बन जाने से दमोह नाका से मदनमहल तक की करीब 60 किलोमीटर दूरी केवल 6 से 10 मिनट में तय की जा सकेगी।
कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री गडकरी ने प्रदेश को 60 हजार करोड़ रुपये के विकास कार्यों की मंजूरी भी दी। इसमें टाइगर रिजर्व कॉरिडोर, नई सड़कों का निर्माण, पुराने मार्गों का चौड़ीकरण और कई नए फ्लाईओवर प्रोजेक्ट शामिल हैं। गडकरी ने कहा कि यह फ्लाईओवर न केवल जबलपुर की ट्रैफिक समस्या को दूर करेगा बल्कि पर्यटन और निवेश की संभावनाओं को भी नई दिशा देगा।
सांसदों ने जताया आभार
जबलपुर सांसद आशीष दुबे ने गडकरी का स्वागत करते हुए कहा कि असंभव दिखने वाले कार्य को धरातल पर उतारना ही मंत्री जी की खासियत है। उन्होंने कहा कि 2015 में तत्कालीन सांसद राकेश सिंह ने यातायात सुधार के लिए जो प्रस्ताव रखा था, उसे गडकरी ने न सिर्फ स्वीकार किया बल्कि उसके लिए तुरंत फंड भी जारी किया। तमाम अड़चनों के बावजूद आज यह फ्लाईओवर बनकर तैयार हो गया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री राकेश सिंह ने भी कहा कि गडकरी के नेतृत्व में विकास की गंगा बह रही है। उन्होंने बताया कि इस फ्लाईओवर पर करीब 1,200 करोड़ रुपये की लागत आई है और यह जबलपुर के भविष्य को नई दिशा देगा।
पर्यावरण और पर्यटन पर जोर
गडकरी ने बताया कि अब पेड़ों की कटिंग नहीं बल्कि उनकी शिफ्टिंग की जाएगी। एक मीटर से अधिक व्यास वाले पेड़ों को संरक्षित कर स्थानांतरित किया जाएगा। वहीं स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर से पर्यावरण संरक्षण और तालाबों के निर्माण पर भी काम किया जा रहा है। अब तक 500 से अधिक तालाब बनाए जा चुके हैं।
प्रदेश सरकार ने बताया कि जबलपुर से मंडला तक नई सड़क बनाई जाएगी, जिससे आदिवासी क्षेत्रों को बेहतर संपर्क मिलेगा। साथ ही, 118 किलोमीटर लंबी रिंग रोड को भी जल्द स्वीकृति दी जाएगी, जिस पर करीब 4,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
निवेश और भविष्य की योजनाएँ
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि गडकरी के नेतृत्व में एमपी में निवेश के नए कीर्तिमान गढ़े जा रहे हैं। जल्द ही टाइगर रिजर्व कॉरिडोर, टाइगर एक्सप्रेस वे और रोपवे परियोजनाओं की शुरुआत भी होगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नितिन गडकरी के सहयोग के बिना यह ऐतिहासिक सौगात संभव नहीं थी।