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Jabalpur News जबलपुर की धरती पर कभी स्थायी आधिपत्य नहीं जमा सके मुगल

– गोंड-मराठा राजवंश ने किया राज, ब्रिटिश शासन की भी पसंद रहा जबलपुर
– ऋषि जाबालि की कर्मभूमि था जबलपुर
– 4 सदी कलचुरी तो 4 सदी गोंडवाना राजवंश का रहा राज

Jabalpur News: जबलपुर. मध्यप्रदेश के पूर्वी-मध्य भाग में स्थित शहर जबलपुर अपनी एक विशेष पहचान रखता है. जबलपुर शहर का अस्तित्व आज का नहीं, बल्कि 1300-1400 साल पुराना है. यह शहर ऋषि जाबालि की तपोभूमि रहा है. इस शहर पर गोंडवाना मराठा राजवंश का राज रहा.
खास बात यह है कि इस शहर पर कभी स्थानीय रूप से मुगलों का शासन नहीं रहा है. हालांकि जबलपुर ब्रिटिश सरकार की यह पसंद रहा है. ब्रिटिश सरकार ने जबलपुर को सैन्य ताकतों के लिए अपना हेडक्वार्टर बनाया हुआ था. प्रकृति की गोद में समाए जबलपुर में अनेक ऐतिहासिक सांस्कृतिक, प्राकृतिक सौंदर्य की धराहरें है, जो इस शहर को विशेष पहचान देती है. इस शहर में अनेक रोमांचकारी स्थल है, जो देश-विदेश के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. इतिहासकार जबलपुर का इतिहास बताते हुए कहते हैं कि यह ऋषि जाबालि की तपोभूमि रही है. ऋषि जाबालि की वजह से ही इसका नाम जाबालिपुरम कहलाया, हालांकि बाद में जबलपुर. इतिहासकार बताते हैं कि जबलपुर की धरती पर कलचुरी राजवंश, गोंड राजवंश, मराठा और ब्रिटिश सरकार का आधिपत्य रहा है.
ऐसा रहा जबलपुर का इतिहास…
इतिहास के अनुसार जबलपुर की धरती पर कलचुरी, गोंड व मराठा राजवंश का राज रहा है. सबसे पहले कलचुरी राजवंशी ने यहां राज किया. इतिहास बताता है कि 9वीं से 13वीं शताब्दी तक जबलपुर की धरती पर कलचुरी त्रिपुरी शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना रही. कलचुरी राजवंश में जबलपुर ही राजधानी थी. भेड़ाघाट में चौंसठ योगिनी मंदिर कलचुरी शासनकाल का प्रमाण है. जबकि कलचुरी राजवंश के पतन के बाद 14वीं से 18वीं शताब्दी तक गोंड राजवंश का आधिपत्य रहा. गोंड राजवंश के पास जबलपुर सहित आसपास मंडला के आसपास की धरती पर भी आधिपत्य रहा. गोंड राजवंशी की वीरता की कहानी रानी दुर्गावती के पराक्रम की अब भी सुनाई देती है. रानी दुर्गावती, मुगल शासक अकबर के सामने नहीं झूंकी और लोहा लिया. हालांकि इस संघर्ष के दौरान रानी दुर्गावती को अपने प्राणों की आहुति देना पड़ी. इसी काल के दौरान अस्थायी रूप से मुगल शासन रहे. इधर 18वीं शताब्दी में गोंड राजवंश के पतन के बाद यह धरती मराठाओं के कब्जे में आ गई. इस धरती पर 1818 तक मराठा राजवंश का शासन रहा.
ब्रिटिश शासन में विकसित हुआ जबलपुर
इतिहास के अनुसार मराठा शासन के बाद यहां ब्रिटिश शासन रहा. हालांकि ब्रिटिश शासन काल में जबलपुर विकास की ओर अग्रसर हो गया था. यहां आधुनिक बुनियादी ढांचा धीरे-धीरे बढऩे लगा था. रेलवे लाइन सहित अन्य आधुनिक सुविधाएं यहां विकसित हो गई थी, जिसकी वजह से आर्थिक रूप से जबलपुर ब्रिटिश शासन से ही समृद्ध होने लगा था.
शिक्षा और न्याय का प्रमुख केन्द्र
देश की आजादी के बाद भी जबलपुर का महत्व कम नहीं हुआ. मध्यप्रदेश के पांच बड़े शहर में इंदौर, भोपाल, उज्जैन, ग्वालियर के साथ जबलपुर भी शामिल हैं. शिक्षा और न्याय का प्रमुख केन्द्र जबलपुर है. मध्यप्रदेश का हाईकोर्ट जबलपुर में स्थापित है. कानूनन मामले में प्रदेश के सभी शहरों में निराश हुए लोग जबलपुर से ही आस लगाते हैं और हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं.

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