Jabalpur News : जबलपुर. आज से 10 दिवसीय गणेश उत्सव का भव्य आगाज हो गया है. शहर में दो हजार से अधिक स्थानों पर छोटे-बड़े गणेश जी की प्रतिमाओं की स्थापना की जाएगी, जबकि शहर के तीन प्राचीन मंदिरों पर आज अल सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता उमडऩे लगा है. शहर में हर तरफ गणपति बप्पा मौरिया के जयकारें गूंज रहे हैं.
बता दें जबलपुर शहर में तीन अति प्राचीन गणेश मंदिर हैं, इनमें रतन नगर स्थित श्री सुप्तेश्वर गणेश मंदिर, कंजीपुरा मार्केट स्थित शेषनाग गणेश मंदिर और बादशाह हलवाई गणेश मंदिर शामिल हैं. यह तीनों ही मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था के प्रमुख केन्द्र हैं. यहां 12 महीने ही श्रद्धालुओं के आने जाने का सिलसिला बना रहता है. बुधवार को सबसे अधिक श्रद्धालु पहुंचते हैं, जबकि गणेश उत्सव के 10 दिनों तक यहां मेले जैसा नजारा नजर आता है.
25 फीट ऊंची है प्रतिमा
शहर के रतन नगर में प्राचीन श्री सुप्तेश्वर गणेश मंदिर हैं. मंदिर में प्रतिमा 25 फीट ऊंची और एक विशाल चट्टान पर प्राकृतिक रूप से बनी है. मान्यता है कि यहां भगवान गणेश जी को कल्कि अवतार में पूजा जाता है, जो मूषक के बजाय घोड़े पर सवार हैं. इस मंदिर को मन्नतों वाले गणेश जी के नाम से भी जाना जाता है. श्रद्धालुओं द्वारा सच्चे मन से मांगी गई मन्नतें यहां महज 41 दिनों में ही पूरी हो जाती है.
हिल न सकी मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा
इसी तरह कंजीपुरा मार्केट में स्थित शेषनाग गणेश मंदिर का भी रोचक इतिहास है. बताया जाता है कि यहां गणेश उत्सव के दौरान मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा विराजित की थी. विसर्जन वाले दिन जब प्रतिमा को विसर्जन के लिए उठाने लगे तो प्रतिमा टस से मस भी नहीं हो सकी. आखिरकार श्रद्धालुओं ने फिर यहीं गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की और भव्य मंदिर बनवाया.
हलवाई ने कराया था मंदिर का निर्माण
इसी तरह शहर में बादशाह हलवाई गणेश मंदिर है. मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण एक हलवाई द्वारा कराया गया था. इस मंदिर में गणेश जी अपनी पत्नियों रिद्धि और सिद्धि के साथ विराजें हैं. मंदिर में 27 नक्षत्रों और नवग्रहों की नक्काशी वाला एक संगमरमर का खंभा भी है. यहां भी 10 दिवसीय गणेश उत्सव के दौरान मेले जैसा नजारा नजर आएगा.