Jabalpur News : जबलपुर. राजधानी भोपाल के ऐशबाग में बने 90 डिग्री मोड़ वाले विवादित ब्रिज मामले में जबलपुर हाईकोर्ट का अहम फैसला आया है. हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए ठेकेदार को फिलहाल राहत दी है.
हाईकोर्ट ने ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट करने की सरकारी कार्रवाई पर रोक लगा दी है साथ ही मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (मैनिट) के एक वरिष्ठ प्रोफेसर से इस पुल की तकनीकी जांच कराने के निर्देश दिए हैं. अब इस मामले की अगली सुनवाई 10 सितंबर को निर्धारित की है.
जांच से पता लगाएं
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफा की बेंच ने सुनवाई करते हुए स्पष्ट निर्देश दिए कि जांच से यह पता लगाया जाना चाहिए कि ब्रिज निर्माण में कहां और किस स्तर की गड़बड़ी हुई. कोर्ट ने मैनिट के निदेशक को निर्देशित किया कि वे स्ट्रक्चरल और सिविल इंजीनियरिंग की योग्यता रखने वाले एक वरिष्ठ प्रोफसर से पुल का निरीक्षण कराएं.
गलती डिजाइन में, निर्माण में नहीं
इधर इस मामले में ठेकेदार पुनीत चड्डा की और से अधिवक्ता प्रवीण दुबे द्वारा कोर्ट में रखी दलील में बताया कि पुल का निर्माण लोक निर्माण विभाग द्वारा दी गई ड्राइंग और डिजाइन के अनुसार ही किया गया है. उनका कहना है यदि पुल की डिजाइन में कोई गलती थी तो इसके लिए ठेकेदार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.
जांच में खर्च आएगा 1 लाख रुपए
कोर्ट ने मैनिट द्वारा की जाने वाली जांच के लिए लोक निर्माण विभाग, भोपाल नगर निगम और भोपाल विकास प्राधिकरण के मुख्य अभियंताओं को सहयोग करने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश के बाद पुल निर्माण की जांच में 1 लाख रुपए खर्च होगा, जिसका भुगतान रिपोर्ट के आधार पर तय होगा.