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Balaghat News : पार्टी विशेष का गढ़ नहीं रहा बालाघाट जिला, कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी ने मारी बाजी

– वर्तमान में संसदीय सीट बीजेपी के खाते में, जबकि 6 में से 4 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा

Balaghat News : बालाघाट. मध्यप्रदेश की राजनीति में बालाघाट जिला अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है. यह ऐसा जिला है, जिसे कोई भी राजनीतिक दल अपना गढ़ नहीं कह सकता. इस जिले में कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी जीत का स्वाद चखती रही है. वर्तमान राजनीतिक दृश्य की बात करें तो संसदीय सीट बीजेपी के खाते में है, जबकि जिले की 6 विधानसभा सीटों में से 4 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है, जबकि महज दो सीटें ही बीजेपी के खाते में है.
संसदीय चुनाव हो या विधानसभा चुनाव, दोनों ही चुनावों में स्थानीय मुद्दे हावी रहते हैं. यहां सामाजिक समीकरण साधे बगैर किसी भी नेता की नैय्या पार नहीं हो सकती. जिले में कृषि से जुड़ी अनेक चुनौतियां है, जबकि आबादी के मान से अब उद्योगों की भी कमी है. शिक्षा के मामले में जनप्रतिनिधि यहां के युवाओं को प्रभावित नहीं कर सके हैं. यही कारण है कि यहां की जनता किसी भी जनप्रतिनिधि को स्थायी मौका नहीं देती, वादा पूरा नहीं करने पर उसे अपनी विधायकी या सांसदी से हाथ धोना ही पड़ता है.

बीजेपी के खाते में संसदीय सीट
संसदीय सीट की बात करें तो यहां बीजेपी हमेशा ही भारी रही है. 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी भारती पारधी ने जीत दर्ज की और संसद में जिले का प्रतिनिधित्व कर रही है. संसदीय सीट में कुल आठ विधानसभा सीटे हैं. जिनमें छह बालाघाट जिले की और दो सिवनी जिले की शामिल हैं. वर्तमान सांसद भारती पारधी ने एक पार्षद से शुरुआत की और जमीनी स्तर पर संघर्ष करते हुए सांसद तक पहुंची.

विधानसभा सीटों पर कांग्रेस भारी
जिले में छह विधानसभा सीटे हैं, जिनमें बैहर, लांजी, बालाघाट, परसावाड़ा, कटंगी और वारासिवनी शामिल हैं. जिले की छह विधानसभा सीटों में से 4 पर कांग्रेस की काबिज है, जबकि 2 सीटें ही बीजेपी के खाते में हैं. 2023 के विधानसभा चुनाव में यहां बीजेपी के दो मंत्रियों को हार का सामना भी करना पड़ा, जिसमें परवाड़ा सीट से रामकिशोर कांवरे चुनाव हार गए, जबकि बालाघाट से वरिष्ठ नेता गौरीशंकर बिसेन को भी हार का सामना करना पड़ा. जिले की बैहर सीट से कांग्रेस के संजय उईके विजयी हुए थे, जबकि बालाघाट से कांग्रेस की अनुभा मुंजारे, कटंगी से भाजपा के गौरव पारधी, लांजी से भाजपा के राजकुमार कर्राये, परसवाड़ा से कांग्रेस के मधु भगत और वारासिवनी से कांग्रेस के विक्की पटेल ने जीत दर्ज की थी.
विधानसभा सीटों का गणित
जिले की छह ही विधानसभा सीटों के राजनीतिक गणित की बात करें तो जिले की बैहर विधानसभा सीट अनूसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. इस सीट पर पूरी तरह से आदिवासी मुद्दे आबादी रहते हैं. जबकि जिले की लांजी विधानसभा सीट सामान्य सीट है. इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलता है. जिले की बालाघाट सीट की बात करें तो इस सीट पर शहरी एवं ग्रामीण मतदाताओं का सामूहिक मिश्रण देखने को मिलता है. जिले की परसवाड़ा विधानसभा सीट सामान्य सीट है. इस सीट पर गोंड समाज का ज्यादा प्रभाव देखने में आता है. जिले की कटंगी विधानसभा सीट पर स्थानीय मुद्दे हर चुनाव में हावी रहते हैं. वहीं वारासिवनी सीट भी सामान्य वर्ग के लिए, नतीजतन यहां भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला दिखाई देता है.
जिले के यह प्रभावी नेता
जिले में अनेक प्रभावी नेता है, उनमें सबसे बड़ा नाम सामने आता है गौरीशंकर बिसेन का. श्री बिसेन इस जिले के मजबूत राजनीतिक स्तंभ माने जाते हैं, हालांकि 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसी तरह रामकिशोर कावरे, जो पूर्व मंत्री भी रह चुके है, जिले की राजनीति में उनका भी अच्छा खासा प्रभाव है.

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