छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है। कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष और विधानसभा में विपक्ष के नेता उमंग सिंघार (Umang Singhar) ने छिंदवाड़ा में बयान दिया, “हमें गर्व है कि हम आदिवासी हैं, हिंदू नहीं।” यह बात उन्होंने बुधवार को जिला कांग्रेस कार्यालय में मध्यप्रदेश आदिवासी विकास परिषद की बैठक और सम्मान समारोह में कही। सिंघार ने आदिवासी समाज से एकजुट रहने की अपील करते हुए कहा कि किसी भी समुदाय को सम्मान देना गलत नहीं है। उनके इस बयान ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है, और भाजपा ने इसे जनजातीय समाज का अपमान करार दिया।
सिंघार ने कहा, “वर्ण व्यवस्था और मनुवाद ने आदिवासियों को क्या दिया, यह सभी जानते हैं। हम प्रकृति पूजक हैं। मैं कहता हूं, गर्व से कहो- हम आदिवासी हैं, हिंदू नहीं।” उनका यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
भाजपा का पलटवार: “कांग्रेस कर रही अपमान”
भाजपा ने सिंघार के बयान की कड़े शब्दों में निंदा की। केंद्रीय राज्य मंत्री दुर्गादास उइके ने कहा, “जनजातीय समाज सनातन धर्म का अभिन्न हिस्सा है। वे होली, दीपावली, रक्षाबंधन जैसे त्योहार धूमधाम से मनाते हैं। भगवान महादेव के वंशज और उनके आराधक हैं। सिंघार का बयान तथ्यहीन और अज्ञानता से भरा है।” उइके ने इसे कांग्रेस की ओर से जनजातीय समाज का अपमान बताया। भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने तो सिंघार पर तंज कसते हुए कहा, “यह बयान सोनिया गांधी को खुश करने की साजिश है। आदिवासी सनातन संस्कृति के हिस्सा हैं।”
सिंघार ने नहीं बदला रुख, संविधान का दिया हवाला
अपने बयान पर अडिग रहते हुए सिंघार ने गुरुवार को फिर दोहराया, “आदिवासी समाज की परंपराएं और संस्कृति हजारों साल पुरानी हैं। संविधान ने भी उनकी विशिष्ट पहचान को मान्यता दी है।” उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि आदिवासी अपनी मान्यताओं और रीति-रिवाजों के साथ अलग हैं। उन्होंने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा, “भाजपा आदिवासियों को कभी दिल से नहीं अपनाती। उनका मकसद आरक्षण खत्म करना और आदिवासी अस्मिता को दबाना है।”
“हिंदू धर्म का सम्मान, लेकिन आदिवासी पहचान अलग”
सिंघार ने स्पष्ट किया, “हम हिंदू धर्म का सम्मान करते हैं, लेकिन आदिवासियों की परंपराएं और विश्वास अलग हैं। मेरा लक्ष्य आदिवासी गौरव और संस्कृति की रक्षा करना है।” उन्होंने भाजपा से सवाल किया, “अगर भाजपा आदिवासियों की इतनी चिंता करती है, तो RSS में आज तक कोई आदिवासी स्सरसंघचालक क्यों नहीं बना?”
मध्यप्रदेश में आदिवासी वोट बैंक अहम भूमिका निभाता है। राज्य की 230 विधानसभा सीटों में 47 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। ऐसे में सिंघार का यह बयान और भाजपा की प्रतिक्रिया सियासी जंग को और गर्माने वाली है। यह विवाद आने वाले दिनों में प्रदेश की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है।