Blood Moon : 7 सितंबर 2025 को आकाश में एक अद्भुत खगोलीय घटना घटित होने वाली है। यह साल का दूसरा और अंतिम पूर्ण चंद्र ग्रहण। यह न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से रोमांचक है, बल्कि ज्योतिषीय रूप से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। चंद्रमा पृथ्वी की छाया में पूरी तरह डूब जाएगा, और लाल रंग में नहाया हुआ ‘ब्लड मून’ का नजारा दुनिया को मोहित करेगा। भारत में यह ग्रहण पूरी तरह दिखाई देगा, जिससे लाखों लोग इसे देख सकेंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस ग्रहण के दौरान सूतक काल लागू होगा और कुछ राशियों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ सकता है? आइए, इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
ग्रहण का समय और अवधि
यह पूर्ण चंद्र ग्रहण 7 सितंबर की रात को शुरू होगा। भारतीय मानक समय (IST) के अनुसार, ग्रहण की शुरुआत रात 10:58 बजे होगी, जब चंद्रमा पृथ्वी की गहरी छाया (अंब्रा) में प्रवेश करेगा। इसका चरम समय रात 11:42 बजे होगा, जहां चंद्रमा पूरी तरह लाल दिखाई देगा। ग्रहण की समाप्ति देर रात 1:26 बजे होगी। कुल अवधि 3 घंटे 28 मिनट की रहेगी, जिसमें पूर्ण ग्रहण का चरण लगभग 1 घंटा 22 मिनट तक चलेगा। यह ग्रहण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, पूर्वी अफ्रीका और यूरोप के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा, लेकिन भारत में यह रात के समय होने से स्पष्ट रूप से नजर आएगा।
भारत में कैसे देखें
भारत में यह ग्रहण पूरे देश में दिखाई देगा, चाहे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता या बैंगलुरु हो। मौसम साफ रहा तो नंगी आंखों से इसे देखा जा सकता है, क्योंकि चंद्र ग्रहण सूर्य ग्रहण की तरह खतरनाक नहीं होता। कोई विशेष चश्मा जरूरी नहीं है लेकिन दूरबीन या टेलीस्कोप से और बेहतर नजारा मिलेगा। यदि आप घर पर हैं, तो छत से या खुले मैदान से देखें। लाइव स्ट्रीमिंग के लिए नासा या टाइम एंड डेट जैसी वेबसाइट्स उपलब्ध हैं लेकिन याद रखें, ग्रहण के दौरान बाहर निकलने से पहले सूतक के नियमों का पालन करें। यह ग्रहण उत्तर अमेरिका में दिन के समय होने से वहां नहीं दिखेगा लेकिन भारत जैसे देशों के लिए यह एक दुर्लभ अवसर है।
ज्योतिषीय महत्व: कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र
ज्योतिष के अनुसार, यह ग्रहण कुंभ राशि में लगेगा, जो नवाचार और सामाजिक परिवर्तनों का प्रतीक है। नक्षत्र पूर्वाभाद्रपद होगा, जो आध्यात्मिकता और रहस्यवाद से जुड़ा है। कुंभ राशि वालों पर इसका प्रभाव सबसे अधिक हो सकता है – मानसिक तनाव बढ़ सकता है, लेकिन तंत्र-मंत्र में रुचि भी जागृत हो सकती है। अन्य राशियों पर भी असर पड़ेगा; मेष वाले लाभान्वित हो सकते हैं, जबकि वृषभ को सावधानी बरतनी चाहिए। ग्रहण राहु-केतु के प्रभाव से होता है, जो जीवन में अचानक बदलाव ला सकता है।
सूतक काल और पालन करने वाले नियम
सनातन धर्म में चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू होता है। इस ग्रहण के लिए सूतक 7 सितंबर को दोपहर 12:59 बजे से प्रारंभ होगा और ग्रहण समाप्ति तक चलेगा। सूतक में खाना बनाना, खाना, देवताओं की मूर्ति छूना या यात्रा करना वर्जित है। इसके बजाय, ध्यान, जप और मंत्रों का उच्चारण शुभ माना जाता है। गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए – घर में रहें और नुकीली वस्तुओं से दूर रहें। ग्रहण के बाद स्नान और दान करने से नकारात्मक प्रभाव कम होता है। ये नियम सदियों पुरानी परंपराओं पर आधारित हैं, जो ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित रखने के लिए हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण: ब्लड मून का रहस्य
विज्ञान में ग्रहण पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा की सीधी रेखा में आने से होता है। चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है, और वायुमंडल से गुजरती सूर्य की किरणें इसे लाल बनाती हैं – इसलिए ‘ब्लड मून’। यह कोई अशुभ घटना नहीं, बल्कि ब्रह्मांड की सुंदरता का प्रदर्शन है। 2026 तक ऐसा पूर्ण ग्रहण नहीं होगा, इसलिए इसे मिस न करें।