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उज्जैन : शिप्रा नदी में 61 घंटे बाद भी लापता है महिला आरक्षक आरती पाल, कार का पता नहीं

Ujjain News

Ujjain News : उज्जैन। मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में शिप्रा नदी के बड़े पुल से पुलिस की कार के गिरने की घटना को 61 घंटे से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन महिला आरक्षक आरती पाल और कार का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है। मंगलवार सुबह पुलिस और प्रशासन ने सर्च अभियान को और तेज करते हुए रणनीति में बदलाव किया है। अब वाटर कैमरे और सोनार डिटेक्शन उपकरणों की मदद से घटनास्थल के 100 मीटर दायरे में तलाश की जा रही है।

शनिवार रात करीब 9 बजे, उज्जैन के चिंतामन क्षेत्र में एक 14 वर्षीय लापता किशोरी की तलाश में निकली पुलिस टीम की कार असंतुलित होकर शिप्रा नदी में जा गिरी। कार में उन्हेल थाने के प्रभारी अशोक शर्मा, सब-इंस्पेक्टर मदनलाल निनामा और महिला आरक्षक आरती पाल सवार थे। सीसीटीवी फुटेज में कार के नदी में गिरने की घटना दर्ज हुई थी। हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीईआरएफ, होमगार्ड और स्थानीय गोताखोरों की टीमें मौके पर पहुंचीं और सर्च अभियान शुरू किया।

अब तक की स्थिति
रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान रविवार को भैरवगढ़ पुल के पास से थाना प्रभारी अशोक शर्मा का शव बरामद हुआ। सोमवार शाम को उसी स्थान पर सब-इंस्पेक्टर मदनलाल निनामा का शव भी मिला। मंगलवार को सर्च के दौरान कार का बंपर मिला, जिस पर नंबर प्लेट MP13-CC-7292 अंकित थी। यह कार महिला आरक्षक आरती पाल की बताई जा रही है। हालांकि, आरती और कार का अब तक कोई ठोस सुराग नहीं मिल सका है।

सर्च ऑपरेशन में बदलाव
61 घंटे से अधिक समय बीतने के बाद भी आरती पाल का पता नहीं चलने पर पुलिस ने रणनीति बदली है। सर्च का दायरा अब 5 किलोमीटर तक बढ़ा दिया गया है, जो केडी पैलेस तक फैला है। सीएसपी राहुल देशमुख के नेतृत्व में महिदपुर से 8 सदस्यीय विशेषज्ञ गोताखोरों की टीम बुलाई गई है। सोनार डिटेक्शन उपकरणों और वाटर कैमरों का उपयोग किया जा रहा है। रेस्क्यू टीम का अनुमान है कि कार घटनास्थल के 100 मीटर के दायरे में मिट्टी में दबी हो सकती है, और आरती संभवतः कार में ही फंसी हों। टीम को उम्मीद है कि यदि नदी का जलस्तर 3 फीट और कम होता है, तो तलाश में आसानी होगी।

परिजनों का दर्द
मंगलवार को आरती पाल के परिजन घटनास्थल पर पहुंचे। उनके पिता अशोक पाल ने बताया कि 5 सितंबर को आरती रतलाम स्थित अपने घर आई थी। 6 सितंबर को उनसे आखिरी बार बात हुई थी। आरती ने अपने छोटे भाई लोकेन्द्र को पंचमुखी हनुमान जी को चोला चढ़ाने के लिए पैसे दिए थे और अपनी किसी मन्नत के पूरी होने पर खुशी जताई थी। परिजनों का कहना है कि आरती बेहद कर्तव्यनिष्ठ थीं और इस हादसे ने उन्हें गहरे सदमे में डाल दिया है।

सर्च अभियान में करीब 130 जवान दिन-रात जुटे हैं। एनडीआरएफ, एसडीईआरएफ, होमगार्ड, पुलिस और स्थानीय गोताखोरों की टीमें लगातार प्रयास कर रही हैं।

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