Balaghat Famous Dish : कल्पना कीजिए, एक ऐसा व्यंजन जो मिट्टी की खुशबू से भरा हो, मसालों की तीखी धार से चमके और तीखे-खट्टे स्वाद से जीभ को झनझना दे! जी हां, हम बात कर रहे हैं सुरन करी (Suran curry) की, जो मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले की एक अनोखी डिश है। यह सिर्फ एक सब्जी नहीं, बल्कि बालाघाट की संस्कृति, प्रकृति और घरेलू रसोई का जीवंत प्रतीक है। अगर आप खाने के शौकीन हैं, तो यह लेख आपको बालाघाट की हरी-भरी पहाड़ियों और जंगलों की सैर कराएगा, जहां सुरन की जड़ें गहराई से जुड़ी हैं।
बालाघाट, मध्यप्रदेश का वह जिला जो अपने घने जंगलों, पहाड़ियों और कृषि के लिए मशहूर है। यहां की मिट्टी इतनी उपजाऊ है कि, सुरन (जिसे हाथी पांव याम या जिमीकंद भी कहते हैं) जैसे ट्यूबर आसानी से उगते हैं। सुरन एक साधारण सी जड़ वाली सब्जी है, लेकिन बालाघाट के लोग इसे जादुई तरीके से स्वादिष्ट व्यंजन में बदल देते हैं। यह व्यंजन पीढ़ियों से बालाघाट में पकाया जा रहा है। बारिश के मौसम में या सर्दियों की ठंड में, जब शरीर को गर्माहट और पोषण की जरूरत होती है, तब सुरन करी प्लेट में आकर सबको खुश कर देती है।
क्या आप जानते हैं? बालाघाट में सुरन करी को दिवाली जैसे त्योहारों पर लक्ष्मी पूजा के दौरान चढ़ाया जाता है। यह समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यहां के ग्रामीण इलाकों में, सुरन की फसल कटाई के बाद पूरा गांव इसकी करी बनाकर जश्न मनाता है। यह व्यंजन न सिर्फ स्वादिष्ट है, बल्कि बालाघाट की सादगी और मेहनत की कहानी भी बयां करता है।
स्वाद का जादू : कैसे बनती है सुरन करी?
सुरन करी का स्वाद तीखा, खट्टा और मसालेदार होता है। यह सरसों के तेल की गहरी खुशबू से शुरू होती है और हरी मिर्च के तीखेपन से खत्म। बालाघाट स्टाइल में इसे बनाना आसान है, लेकिन इसका राज मसालों के सही मिश्रण में छिपा है। आइए, स्टेप बाय स्टेप रेसिपी देखें।
सामग्री –
– 500 ग्राम सुरन (छीलकर क्यूब्स में कटा हुआ, खुजली रोकने के लिए हल्दी वाले पानी में भिगोया हुआ)
– 2 बड़े चम्मच सरसों का तेल
– 1 छोटा चम्मच जीरा
– 1/2 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर
– 1 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर
– 1 छोटा चम्मच धनिया पाउडर
– 1 हरी मिर्च (कटी हुई)
– 1 छोटा चम्मच इमली का पेस्ट (या नींबू का रस, खट्टापन के लिए)
– स्वादानुसार नमक
– ताजा धनिया पत्तियां (सजाने के लिए)
– वैकल्पिक: 1 प्याज (बारीक कटा हुआ, गहराई के लिए)
बनाने की विधि –
1 सुरन के टुकड़ों को नमकीन पानी में 10-15 मिनट तक उबालें, जब तक वे नरम न हो जाएं। ज्यादा न उबालें, वरना टेक्सचर खराब हो जाएगा। पानी निकालकर अलग रखें।
2 एक कढ़ाई में सरसों का तेल गर्म करें, जब तक धुआं न निकले। जीरा डालें और चटकने दें।
3 हरी मिर्च (और प्याज अगर इस्तेमाल कर रहे हैं) डालकर सुनहरा होने तक भूनें।
4 हल्दी, लाल मिर्च और धनिया पाउडर डालें। जलने से बचाने के लिए थोड़ा पानी छिड़कें।
5 उबले सुरन के टुकड़े डालें और अच्छे से मिक्स करें। 1 कप पानी और इमली का पेस्ट डालकर 10 मिनट तक उबालें, जब तक ग्रेवी गाढ़ी न हो जाए।
6 ऊपर से धनिया पत्तियां डालें। गर्मागर्म चावल, रोटी या खिचड़ी के साथ परोसें।
टिप : सुरन छीलते समय हाथों पर तेल लगा लें, वरना खुजली हो सकती है। नवरात्रि में व्रत के लिए प्याज हटा दें और सेंधा नमक इस्तेमाल करें। यह करी इतनी लाजवाब है कि एक बार खाएंगे, तो बार-बार बनाएंगे।
स्वास्थ्य के लिए वरदान
सुरन करी सिर्फ स्वाद में नहीं, स्वास्थ्य में भी कमाल है। सुरन फाइबर से भरपूर है, जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है। इसमें आयरन होता है, जो एनर्जी बढ़ाता है; पोटैशियम दिल की सेहत के लिए अच्छा है; और विटामिन बी6 रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। कैलोरी कम होने से यह वजन कंट्रोल करने वालों के लिए बेस्ट है, लेकिन कार्ब्स ज्यादा होने से भूख मिटाने में माहिर! शाकाहारी लोगों के लिए यह प्रोटीन का अच्छा स्रोत है।
बालाघाट में सुरन करी की कई वैरायटी हैं। कुछ लोग इसमें दही मिलाकर क्रीमी बनाते हैं, तो कुछ टमाटर डालकर ज्यादा खट्टा। पड़ोसी जिलों में यह “जिमीकंद सब्जी” के नाम से मशहूर है, लेकिन बालाघाट का सरसों तेल वाला फ्लेवर अनोखा है। एक रोचक किस्सा: पुराने जमाने में, बालाघाट के आदिवासी समुदाय सुरन को जंगलों से इकट्ठा करते थे और इसे “प्रकृति का खजाना” मानते थे। आज भी, यहां के बाजारों में ताजा सुरन मिलता है, जो पर्यटकों को आकर्षित करता है।