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MP में रावण दहन पर बवाल : ब्राह्मण समाज ने किया विरोध

Ravana Dahan

Ravana Dahan : उज्जैन। मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में दशहरे पर होने वाले रावण दहन की परंपरा को लेकर विवाद छिड़ गया है। महाकाल सेना और अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने इस प्रथा के खिलाफ खुलकर विरोध जताया है। संगठनों का कहना है कि रावण का पुतला जलाना ब्राह्मण समुदाय और आदिवासी भावनाओं का अपमान है। उज्जैन की सड़कों पर रावण दहन के विरोध में लगे पोस्टर अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं, जिसमें आठ सवालों के जरिए इस परंपरा पर सवाल उठाए गए हैं।

अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पुजारी ने कहा कि रावण एक विद्वान, शिव भक्त और गुणी राजा था, जिसे इतिहास में गलत तरीके से बदनाम किया गया। उन्होंने दावा किया कि रामायण या किसी भी शास्त्र में रावण दहन का कोई उल्लेख नहीं है। पुजारी ने सवाल उठाया कि जब रावण ने राम को नारायण अवतार मानकर भी अपनी बहन सूर्पनखा के अपमान का बदला लिया और मोक्ष प्राप्त किया, तो उसे अत्याचारी कैसे कहा जा सकता है? उन्होंने यह भी कहा कि रावण दहन से ब्राह्मणों और आदिवासी समुदाय की भावनाएं आहत होती हैं।

पिछले साल भी संगठन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर रावण दहन पर रोक लगाने की मांग की थी। पत्र में कहा गया था कि द्वापर युग की एक घटना को आधार बनाकर आज भी रावण का पुतला जलाकर लाखों ब्राह्मणों का अपमान किया जाता है। पुजारी ने सुझाव दिया कि अगर पुतला जलाना ही है, तो उन लोगों के पुतले जलाए जाएं जो मां-बेटियों के साथ अत्याचार कर उनकी हत्या करते हैं।

उज्जैन में पोस्टरों से गरमाया माहौल
उज्जैन के कई इलाकों में रावण दहन के विरोध में पोस्टर लगाए गए हैं, जिनमें संगठन ने आठ तीखे सवाल पूछे हैं। ये सवाल रावण दहन समितियों से सीधे तौर पर जवाब मांगते हैं। संगठन का कहना है कि रावण एक महान विद्वान, शिव तांडव जैसे ग्रंथों का रचयिता और रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की स्थापना में सहयोगी था। ऐसे में उसका पुतला जलाना ब्राह्मणों का अपमान है।

पोस्टर में पूछे गए सवालों में शामिल हैं –
1. रावण दहन क्यों किया जाता है?
2. रावण को अत्याचारी कैसे कहा जा सकता है? स्पष्ट करें।
3. शिव भक्त और विद्वान रावण का अपमान क्यों?
4. सूर्पनखा के साथ हुए अत्याचार का बदला लेना गुनाह कैसे?
5. लक्ष्मण ने ब्राह्मण कन्या सूर्पनखा की नाक-कान काटे, क्या यह उचित था?
6. अगर आपके परिवार के साथ ऐसा व्यवहार हो, तो आप क्या करेंगे?
7. सीता जी के चरित्र पर सवाल उठाने वाले धोबी के बारे में आपका क्या कहना है?
8. रावण को मारने पर श्रीराम को ब्रह्म हत्या का पाप लगा, तो रावण दहन करने वालों पर यह पाप लगेगा या नहीं?

रावण दहन: परंपरा या मनोरंजन?
महाकाल सेना का कहना है कि रावण दहन अब महज मनोरंजन और राजनीति का साधन बन गया है। संगठन ने ब्राह्मण समुदाय से अपील की है कि वे इस तरह के आयोजनों से दूरी बनाएं। उनका तर्क है कि रावण का पुतला जलाना न केवल धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है, बल्कि यह परंपरा शास्त्रों में कहीं उल्लेखित भी नहीं है। संगठन ने इसे स्थायी रूप से बंद करने की मांग की है।

यह विवाद दशहरा पर्व से पहले मध्यप्रदेश में एक नया तूल पकड़ सकता है। जहां एक ओर रावण दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है, वहीं इस विरोध ने परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह है कि क्या यह मांग रावण दहन की परंपरा को प्रभावित करेगी या यह सिर्फ चर्चा तक सीमित रहेगी।

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