Poonam Pandey Controversy : दिल्ली की ऐतिहासिक लवकुश रामलीला, जो लाल किले के मैदान में हर साल लाखों भक्तों को बांध लेती है, इस बार विवादों के घेरे में फंस गई है। बॉलीवुड एक्ट्रेस पूनम पांडे को रावण की पत्नी मंदोदरी का किरदार सौंपने के फैसले पर सनातनी संगठनों, संतों और सोशल मीडिया से तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
रामलीला कमेटी के चेयरमैन अर्जुन कुमार ने तो इसे एक ‘सकारात्मक बदलाव’ का मौका बताया है लेकिन भिंड पहुंचे धार्मिक नेता कंप्यूटर बाबा ने इस चयन पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने सुझाव दिया कि पूनम को मंदोदरी के बजाय शूर्पणखा का रोल मिलना चाहिए।
लवकुश रामलीला कमेटी ने घोषणा की कि, इस साल 22 सितंबर से 3 अक्टूबर तक चलने वाले आयोजन में पूनम पांडे 29-30 सितंबर को मंदोदरी की भूमिका निभाएंगी। रावण का किरदार आर्य बब्बर निभाएंगे। चेयरमैन अर्जुन कुमार ने कहा, “फिल्मों में रीटेक होता है, रामलीला में सिर्फ एक टेक। पूनम का अतीत जो भी हो, इस भूमिका से उनका मन बदलेगा। संसद में डाकू जाते हैं तो जनता पसंद करती है, वोट भी देती है। रामलीला भी तो जनता का आयोजन है।”
कमेटी ने साफ लिहाजा कर दिया कि पूनम ही मंदोदरी बनेंगी लेकिन विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। विश्व हिंदू परिषद (VHP) के दिल्ली प्रांत मंत्री सुरेंद्र गुप्ता ने इसे “रामलीला को ग्लेमरस बनाने की कोशिश” करार दिया, जो सनातन परंपराओं के खिलाफ है। अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने भी आपत्ति जताई कि मंदोदरी पंचकन्याओं में से एक हैं, जो मर्यादा और पवित्रता की प्रतीक हैं। ऐसी छवि वाली अभिनेत्री को यह रोल देना अनुचित है।
भिंड में एक कार्यक्रम के दौरान कंप्यूटर बाबा (नामदेव तिवारी) ने इस मुद्दे पर खुलकर हमला बोला। उन्होंने कहा, “रामलीला के अध्यक्ष को इतने सालों में बुद्धि नहीं आई कि किसे कौन सा रोल देना चाहिए? रामचरितमानस में भगवान राम का चरित्र पवित्र है, उसी पर लीला आधारित होनी चाहिए। आप संसद की बात कर रहे हैं- वहां डाकू जाते हैं तो जनता पसंद करती है, वोट देती है। लेकिन रामलीला में ऐसा नहीं चलेगा।” बाबा ने सुझाव दिया, “हम यह नहीं कह रहे कि पूनम को रोल न दो, लेकिन उसे शूर्पणखा का किरदार दो। जो जैसा हो, वैसा ही निभाए। शूर्पणखा रावण की बहन और मंदोदरी की ननद थी, तो क्या वह ब्राह्मण नहीं थी? सभी सनातनी रामलीला देखना चाहते हैं, लेकिन अगर ऐसे ही चले तो लीला बंद हो जाएगी। सौ वर्ष कैसे बीत गए होंगे, पता नहीं।”
#BoycottPoonamInRamleela जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। एक तरफ जहां कुछ यूजर्स पूनम को “रिडेम्पशन का मौका” बता रहे हैं, वहीं ज्यादातर सनातनी संगठन इसे “परंपरा का अपमान” करार दे रहे हैं। पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर जगतगुरु बालक देवाचार्य ने कहा कि मंदोदरी का रोल किसी को भी नहीं देना चाहिए जो पवित्रता की प्रतीक न हो।