MP High Court : जबलपुर स्थित उच्च न्यायालय की मुख्य पीठ ने मुख्यमंत्री कोविड-19 योद्धा कल्याण योजना के तहत लाभ प्राप्त करने हेतु सरकारी कर्मचारियों के लिए कोविड पॉजिटिव रिपोर्ट की अनिवार्यता समाप्त कर दी है। न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा ने यह आदेश पारित किया।
यह मामला जबलपुर के जिला कलेक्ट्रेट में सहायक ग्रेड-3, स्वर्गीय राजीव उपाध्याय से संबंधित है। उनकी पत्नी अंजू मूर्ति उपाध्याय ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जब अधिकारियों ने राजीव की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव न होने के आधार पर उनकी याचिका खारिज कर दी थी।
राजीव प्रोटोकॉल विभाग में तैनात थे और 20 मार्च, 2020 से महामारी के दौरान प्रवासी मजदूरों के लिए बसों और एम्बुलेंस की व्यवस्था करते हुए अथक परिश्रम कर रहे थे। उनके निरंतर काम के कारण उन्हें तनाव और चिंता हो रही थी, जिसके कारण ड्यूटी के दौरान उन्हें हृदय गति रुक गई। उन्हें दिशा मल्टी-स्पेशलिटी हेल्थ केयर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ उनका निधन हो गया।
राज्य सरकार ने 17 अप्रैल, 2020 को एक परिपत्र जारी किया था, जिसमें महामारी के दौरान समाज की सेवा करते हुए जान गंवाने वाले कोरोना योद्धाओं के परिवारों को मुआवजा देने का प्रावधान था। ज़िला कलेक्टर ने 24 जुलाई, 2020 को राजीव के नाम की अनुशंसा की, लेकिन 28 अक्टूबर, 2020 को यह कहते हुए दावा खारिज कर दिया गया कि वह योजना के खंड 4 के अंतर्गत नहीं आते।
हालांकि, अधिकारियों ने स्वयं 23 अप्रैल, 2020 को स्पष्ट किया कि यदि कर्मचारी कोविड योद्धा के रूप में कार्यरत था, तो कोविड पॉजिटिव रिपोर्ट अनिवार्य नहीं है।
अधिवक्ता संजय वर्मा ने कहा, “उच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि मृत्यु ड्यूटी के दौरान हुई हो, तो लाभ के लिए कोविड पॉजिटिव रिपोर्ट अनिवार्य नहीं है। यह निर्णय तकनीकी आधार पर लाभ से वंचित परिवारों का समर्थन करता है।”