Indore Beggars : मध्यप्रदेश। भिक्षावृत्ति उन्मूलन अभियान को लेकर कलेक्टर कार्यालय में बैठक आयोजित की गई। बैठक में कलेक्टर शिवम वर्मा ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि, इंदौर जिले में पुन: भिक्षावृत्ति शुरू नहीं हो, इसके लिए विशेष अभियान चलाया जाए। विशेषकर बड़ा गणपति, रेलवे स्टेशन, सत्य साईं चौराहा, विभिन्न मठ-मंदिरों, आश्रमों एवं सार्वजनिक स्थानों पर जहां भिक्षावृत्ति की जाती है, उसे सख्ती से रोका जाए। इसके लिए विशेष रेस्क्यू टीमें बनायी जाए, जिसमें महिला एवं बाल विकास विभाग, नगर निगम, होमगार्ड, श्रम विभाग, राजकीय बाल संरक्षण आश्रम के अधिकारी एवं कर्मचारी शामिल हो।
भिक्षा मांगना भी अपराध है और भिक्षा देना भी –
साथ में विशेष पुलिस किशोर इकाई के अधिकारी और कर्मचारियों को भी इस टीम में शामिल किया जाए। ऐसी दो-तीन टीमें शहर में अलग-अलग स्थानों पर लगातार कार्रवाई करें, ताकि कहीं भी भिक्षावृत्ति नहीं हो। भिक्षा मांगना भी अपराध है और भिक्षा देना भी इसी श्रेणी में आता है। जो लोग भिक्षावृत्ति की सूचना देते है, ऐसे लोगों को नगद इनाम देकर पुरस्कृत किया जाए।
आजीविका से जोड़ने के लिए योजनाएं बनायी जाए –
कलेक्टर वर्मा ने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कि भिक्षावृत्ति करने वालों को रोकना ही नहीं, उन्हें आजीविका से जोड़ने के लिए भी योजनाएं बनायी जाए। उन्होंने आगे कहा कि भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए रेस्क्यू करने वाली टीमें इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जिन लोगों ने पूर्व में भिक्षावृत्ति छोड़ दी क्या वे पुन: इसी क्षेत्र में वापस आ रहे हैं। जो लोग विशेषकर किशोर एवं युवा नशा करते हैं या वे अपराधी प्रवृति के है, ऐसे लोग भी भिक्षावृत्ति के क्षेत्र में बड़ी संख्या में संलिप्त है।
बच्चों को भीख नहीं, सीख दीजिए –
ऐसे असामाजिक और अपराधिक लोगों को सुधार गृह में भेजा जाये और उनकी बेहतर काउंसलिंग की जाए। सार्वजनिक स्थानों पर लिखे “बच्चों को भीख नहीं, सीख दीजिए”, “आओं मिलकर भिक्षावृत्ति मुक्त इंदौर बनाए। भिक्षावृत्ति रोकने के लिए गली एवं चौराहों पर नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से प्रचार किया जाए। इस कार्य में समाज सेवा महाविद्यालय इंदौर के छात्र-छात्राओं एवं अन्य सामाजिक संस्थाओं के युवाओं को जोड़ा जाए।
इस बैठक में राजकीय बाल संरक्षण आश्रम के अधीक्षक दिनेश मिश्रा ने बताया कि इंदौर शहर में भिक्षावृत्ति रोकने के लिए जिला प्रशासन एवं महिला एवं बाल विकास विभाग एक विशेष चलाया था, जिसमें दल को विशेष सफलता मिली।
भिक्षावृत्ति करने वालों की संख्या 6 हजार 500 लोगों से अधिक –
इस दल ने पाया कि इंदौर में भिक्षावृत्ति करने वालों की संख्या 6 हजार 500 लोगों से अधिक है, जिसमें बच्चे, किशोर युवाओं से लेकर वृद्धजन तक शामिल है। इसमें बड़ी संख्या महिलाओं की भी है। कुछ लोग आदतन भिक्षावृत्ति करते है जबकि कुछ लोग दूसरों से भिक्षावृत्ति कराते हैं। टीम ने ऐसे सभी भिक्षावृत्तियों की काउंसिंग की गई, जिसमें से 4 हजार 500 लोगों को रेस्यूक किया गया। भिक्षावृत्ति उन्मूलन अभियान में 800 लोगों को पुर्नवास किया गया। जिसमें 115 बच्चें एवं किशोर थे। भीख मांगने वाले 172 बच्चों को विभिन्न विद्यालयों में प्रवेश दिलाया गया।