– जिले में पुरा संपदाओं का भंडार, बावजूद रोजगार की कमी
– जिले के युवाओं को रोजगार की तलाश में जाना होता है अन्य शहर
Balaghat News : बालाघाट. मध्यप्रदेश का बालाघाट जिला भले ही पुरा संपदाओं का भंडार कहा जाता है, बावजूद जिला शिक्षा और बेरोजगारी के मामले में पिछड़ा हुआ है. जिले की 17 लाख से ज्यादा आबादी आज भी उम्मीदों के भरोसे चुनौतियों का सामना करने के लिए विवश हैं.
बता दें साल 2011 की जनगणना के अनुसार बालाघाट जिले की आबादी 17 लाख थी, हालांकि इस जनगणना के 14 साल बीत गए हैं, अब जनसंख्या के आंकड़े में इजाफा हो गया है. जिले में कुल 1215 गांव हैं, जबकि 10 तहसीलों में यह जिला बटा है. इन तहसीलों में बालाघाट, लालबर्रा, कटंगी, बुरहा, बैहर, लांजी, परसवाड़ा, किरनापुर, खैरलांजी और तिरोड़ी शामिल हैं. जिला प्राकृतिक संपदाओं से भरा है बावजूद जिले में बेरोजगारी की समस्या अंगद की तरह अपना पैर जमाए हैं. जिला समृद्ध कृषि के लिए भी जाना जाता है. यहां चावल बहुतायात में होता है, इसलिए इस जिले को धान का कटोरा कहा जाता है.
एशिया की सबसे बड़ी खदान
बालाघाट जिले अर्थव्यवस्था का सबसे मजबूत आधार यहां के प्राकृतिक संसाधन है. जिले के मलाजखंड में एशिया की सबसे बड़ी तांबे की खुली खदान है, जो जिले को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाती है. इसके अलावा देश के सबसे बड़े मैंगनीज उत्पादकों की वजह से भी बालाघाट को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है. कृषि के मामले में भी जिला समृद्ध है, यहां की जमीनी उपजाऊ है, यहां धान की पैदावार ज्यादा होती है, इसलिए इस जिले को धान का कटोरा भी कहा जाता है.
शिक्षा और बेरोजगारी सबसे बड़ी परेशानी
जिला प्राकृतिक संपदाओं से भरा है, कृषि के मामले में उन्नत है, बावजूद जिले में शिक्षा और बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है. जिले में पर्याप्त प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों की संख्या तो पर्याप्त है, लेकिन मेडिकल और इंजीनियरों कॉलेजों का अभाव है. नतीजतन इस जिले के युवा मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई नागपुर, भोपाल या फिर इंदौर जैसे बड़े शहरों क लिए जाते हैं. इस तरह बड़े उद्योग होने के बावजूद यहां की आबादी के मान से अपर्याप्त है. यहां के युवा अच्छी पढ़ाई लिखाई के बाद अच्छे रोजगार के लिए बड़े शहरों में जाते हैं, क्योंकि यहां प्रमुख खनिज और कृषि आधारित उद्योग हैं. ऐसे में अच्छी पढ़ाई लिखाई के बाद युवा अन्य बड़े शहरों की ओर पलायन करते हैं.
जिले के प्रमुख उद्योग
बालाघाट जिले में प्राकृतिक संपदाओं पर आधारित है. यह जिला देश में मैंगनीज का सबसे बड़ा उत्पादक है. जिले का मलाजखंड एशिया का सबसे बड़ा तांबा उत्पादक है. जिले में एशिया सबसे बड़ी खुली खदान है. इसी तरह जिले में बड़ी तादाद में चावल की पैदावार होता है, जिससे इस जिले को धान का कटोरा भी की जाता है. वहीं जिले में तेंदूपत्ता भी बड़ी तादाद में होता है.
जिले में नहीं मेडिकल व इंजीनियरिंग कॉलेज
शिक्षा के मामले में जिला प्रदेश के अन्य जिलों की तुलना में पिछड़ा हुआ है. जिले में माध्यमिक और प्राथमिक स्कूल तो बहुत है, लकिन मेडिकल एवं इंजीनियरिंग कॉलेंज का अभाव है. नतीजतन इंजीनियरिंग व मेडिकल की पढ़ाई के लिए यहां के युवाओं को अन्य शहरों की ओर पलायन करने के लिए विवश होना पड़ता है. ऐसे में आर्थिक रूप से मजबूत घरों के छात्र तो बड़े शहरों में जाकर यह पढ़ाई कर लेते हैं, लेकिन निर्धन परिवारों के बच्चों के इंजीनियर-डॉक्टर बनने का सपना अधूरा ही रह जाता है.
अच्छी रणनीति की जरुरत
जिला सकारात्मक ऊर्जा से भरा पड़ा है, लेकिन उच्च शिक्षा और बढ़ती बेरोजगारी सबसे बड़ी नकारात्मकता बनी हुई है. जिले में अच्छी रणनीति के तहत जिले में उद्योगों को बढ़ावा देना, उच्च शिक्षा के लिए इंजीनियर और मेडिकल कॉलेजों की स्थापना करना आदि शामिल हैं, ताकि जिले का सर्वांगीण विकास हो सके.