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Balaghat News : इतिहास और संस्कृति का अद्भुत संगम है ‘बालाघाट’

– जिले में मौजूद हैं अनेक ऐतिहासिक धरोहरें
– कान्हा राष्ट्रीय उद्यान घूमने देश भर से आते हंै पर्यटक
– घने जंगलों में स्थित जलप्रपात

Balaghat News : बालाघाट. मध्यप्रदेश का बालाघाट जिला इतिहास और संस्कृति का अद्भुत संगम है. यहां अनेक ऐतिहासिक धरोहरें मौजूद हैं तो वहीं देश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय कान्हा उद्यान भी है, जिसे देखने के लिए देश भर से बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. जिले में प्राकृतिक सुंदरता, घने जंगल एवं पुरानी धरोहरें पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करती है.
यह जिला न केवल वन्यजीवों और प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करता है, बल्कि इतिहास और संस्कृति में रुचि रखने वालों के लिए प्रमुख केन्द्र है. बालाघाट जिले में देश विदेश से आने वाले पर्यटकों की संख्या में साल दर साल इजाफा होता जा रहा है. हालांकि जिले में मौजूद प्राचीन किले अब खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं, बावजूद खंडहर होती दीवारें आज भी अपनी मजबूती का प्रमाण देने के लिए काफी है.
गोंड शासकों से जुड़ा इतिहास
बालाघाट जिले का इतिहास गोंड शासकों से जुड़ा है. उनके शासन की धरोहरें आज भी मौजूद हैं. गोंड शासकों के बाद मराठा शासकों ने भी इस धरती पर राज किया है. उस दौर की भी अनेक गौरवशाली विरासतें मौजूद हैं. इन्हीं विरासतों में मौजूद हैं लांजी का किला. बालाघाट जिले के लांजी तहसील में स्थित यह किला इतिहास प्रेमियों के लिए किसी खजाने से कम नहीं. इतिहासकारों के अनुसार इस किले का निर्माण गोंड राजाओं द्वारा कराया गया, जबकि बाद में मराठा शासकों के अधीन यह किला रहा. यह किला अपनी मजबूत दीवारों, विशाल गुंबदों और वास्तुकलां क लिए जाना जाता है. किले में अनेक मंदिर हैं, जो उस दौर की वस्तु स्थिति को अवगत करतो हैं. हालांकि आज यह किला खण्डहरों में तब्दील हो रहा है. बावजूद इस किले के अवशेष आज भी उसकी भव्यता की कहानी को बयां करते हैं.
घने जंगलों में स्थित है गाथा का किला
इसी तरह बालाघाट के घने जंगलों में स्थित गाथा का किला. इतिहासकारों के अनुसार इस किले का निर्माण भी गोंड शासकों द्वारा कराया गया था. यह किला घने जंगलों में स्थित है जो रामांच और खोज का अनुभव प्रदान करता है. हालांकि यह किला भी अब खंडहर हालत में पहुंच गया है.

इंजीनियरिंग कौशल का प्रमाण है हाटा की बावड़ी
जिले के हटा गांव में स्थित प्राचनी बावड़ी उस दौर की कौशल इंजीनियर का प्रमाण देने के लिए काफी है. बताया जाता है कि इस बावड़ी का निर्माण भी गोंड शासकों द्वारा ही कराया गया था. इस बावड़ी के माध्यम से किस तरह जल संरक्षण होता है, यह जीता जागता उदाहरण है. इसके अलावा भी जिले में अनेक जलप्रपात और जलाशय पर्यटकों को आकर्षित करते हैं.
देश भर में पहचान बना कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
जिले में स्थित कान्हा राष्ट्रीय उद्यान ने देश भर में बालाघाट को पहचान दी है. बंगाल टाइगर, बारहसिंग सहित विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों का यह उद्यान घर है. यह उद्यान भारत के पहले टाइगर रिजर्व के रूप में जाना जाता है. यहां आने वाले पर्यटक सफारी का आनंद लेते हैं. पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों को देखते हैं और फोटोग्राफी का आनंद लेते हैं.

हर-भरे जंगलों से घिरा गंगुलपारा जलप्रपात
इसी तरह बालाघाट शहर से 14 किलोमीटर दूर स्थित गंगुलपारा जलप्रपात एवं जलाशय पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है. हरे भरे जंगलों के बीच स्थित यह जलप्रपात लोकप्रिय पिकनिक स्थल है. शांति की चाह रखने वाले पर्यटक यहां आते हैं और घंटों एकांत में बिताते हैं. इसी तरह वैनगंगा नदी पर धुट्टी बांध भी विशाल संरचना है, जो सिंचाई और जलविद्युत उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है. यहां पर्यटक आते हैं और नौकाविहार का आनंद लेते हैं, जबकि सूर्यास्त का आनंद लेने के लिए यहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं.

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