Bhopal 90 degree bridge : भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के ऐशबाग में बना फ्लाईओवर ब्रिज एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार हाईकोर्ट में पेश हुई एक रिपोर्ट ने सबको चौंका दिया। यह ब्रिज, जिसे लोग ’90 डिग्री’ वाला ब्रिज कहकर मजाक उड़ा रहे थे, असल में 118 से 119 डिग्री का है! हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को तय की है। आइए जानते हैं, क्या है पूरा मामला और क्यों मचा है हंगामा?
हाईकोर्ट में क्या हुआ?
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की बेंच के सामने बुधवार को एक अहम रिपोर्ट पेश की गई। यह रिपोर्ट भोपाल के मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MANIT) के एक प्रोफेसर ने तैयार की थी। जांच में खुलासा हुआ कि ऐशबाग फ्लाईओवर का मोड़ 90 डिग्री नहीं, बल्कि 118-119 डिग्री के बीच है। इस खुलासे ने ब्रिज के डिज़ाइन और निर्माण पर सवाल उठाने वालों को नया हथियार दे दिया।
कंपनी पर क्यों हुआ विवाद?
इस फ्लाईओवर को बनाने वाली कंपनी मेसर्स पुनीत चड्ढा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कंपनी का कहना है कि सरकार ने उसे बिना सुनवाई का मौका दिए ब्लैकलिस्ट कर दिया। याचिकाकर्ता ने बताया कि फ्लाईओवर का ठेका 2021-22 में मिला था और निर्माण सरकारी एजेंसी द्वारा दी गई जीएडी (जनरल अरेंजमेंट ड्राइंग) के आधार पर हुआ। बाद में 2023 और 2024 में इस ड्राइंग में बदलाव भी किए गए। कंपनी का दावा है कि उन्होंने तय नियमों का पालन किया, फिर भी उन पर गलत कार्रवाई हुई।
ब्रिज के मोड़ का सच
जब इस ब्रिज का ’90 डिग्री’ मोड़ सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो लोग इसे ‘इंजीनियरिंग का चमत्कार’ कहकर मजाक उड़ाने लगे। सरकार ने मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय समिति बनाई। समिति ने पाया कि ब्रिज के नीचे से रेलवे ट्रैक गुजरता है, जिसके चलते डिज़ाइन में बदलाव हुए। साथ ही, रेलवे और राज्य सरकार के बीच तालमेल की कमी रही। समिति ने यह भी बताया कि ब्रिज के खंभे सही दूरी पर नहीं लगे, जिससे मोड़ का डिज़ाइन प्रभावित हुआ।
हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
हाईकोर्ट ने MANIT के प्रोफेसर को तकनीकी जांच का जिम्मा सौंपा था। इसके लिए याचिकाकर्ता को 1 लाख रुपये की फीस देने को कहा गया। कोर्ट ने साफ किया कि अगर कंपनी का दावा सही साबित हुआ, तो वह यह राशि वापस ले सकती है। साथ ही, कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि जब तक मामला सुलझ नहीं जाता, कंपनी के खिलाफ कोई सख्त कदम न उठाया जाए।
बुधवार की सुनवाई में सरकार ने कोर्ट से ब्लैकलिस्टिंग के फैसले पर दोबारा विचार करने के लिए समय मांगा। हाईकोर्ट ने इसकी इजाजत दे दी और अगली सुनवाई 17 सितंबर को तय की। याचिका की पैरवी अधिवक्ता सिद्धार्थ कुमार शर्मा और प्रवीण दुबे ने की।
क्यों है यह ब्रिज चर्चा में?
ऐशबाग का यह फ्लाईओवर 648 मीटर लंबा और 8.5 मीटर चौड़ा है, जिसे 18 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया। इसका मकसद था ऐशबाग रेलवे क्रॉसिंग पर ट्रैफिक जाम खत्म करना। लेकिन इसका तीखा मोड़ लोगों के लिए खतरा बन गया। सोशल मीडिया पर इसे ‘दुर्घटना का इंतज़ार’ और ‘मेम्स का खजाना’ तक कहा गया। अब हाईकोर्ट की रिपोर्ट ने इसे और बड़ा मुद्दा बना दिया है।
क्या यह ब्रिज सुरक्षित है? क्या कंपनी की ब्लैकलिस्टिंग हटेगी? और क्या सरकार इस डिज़ाइन को ठीक करेगी? इन सवालों का जवाब 17 सितंबर की सुनवाई में मिल सकता है। तब तक, यह ‘119 डिग्री’ वाला ब्रिज भोपाल की सड़कों पर चर्चा का केंद्र बना रहेगा।