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Chhindwara News : इतिहास, आदिवासी संस्कृति और प्रकृति का संगम है छिंदवाड़ा

– जिले में मौजूद हैं ऐतिहासिक धरोहरें, कल-कल बहती है आधा दर्जन नदियां
– कोयले की खान और एशिया की सबसे बड़ी मण्डी छिंदवाड़ा में

Chhindwara News : छिंदवाड़ा. सतपुड़ा की पहाडिय़ों के बीच बसा छिंदवाड़ा जिला इतिहास, आदिवासी संस्कृति और प्रकृति का अद्भुत संगम है. आज भी जिले में ऐतिहासिक धरोहरें मौजूद हैं, जो प्राचीन गोंड राजाओं की याद को ताजा करती है. यह जिला कोयले की खान और मक्का उपज के मामले में एशिया की सबसे बड़ी मंडी के लिए भी देश विदेश में जाना जाता है. जिले में आदिवासी संस्कृति की जीवंत झलक देखने को मिलती है तो कल-कल बहती नदियां पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती है.
जिले में अनेक ऐतिहासिक और पर्यटन स्थल है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण है पातालकोट. जिले में स्थित पातालकोट पर्यटकों के लिए खास पर्यटन स्थल है. यह 3000 फीट गहरी एक विशाल घाटी है, जो घोड़े की नाल के आकार में फैली हुई है. लोककथाएं तो इस विशाल घाटी को रामायण काल से जोडक़र देखती है. लोककथाओं के अनुसार संजीवनी बूटी की तलाश में हनुमान जी यहां भी आए थे. इस घाटी में आज भी भारिया और गोंड जनजातीय के लोग निवास करते हैं, जो पारंपरिक आदिवासी शैली में ही अपना जीवन यापन करते हैं.

40 किमी दूर स्थित है देवगढ़ किला
छिंदवाड़ा मुख्यालय से 40 किलोमीटर की दूरी पर देवगढ़ किला स्थित है. इतिहासकारों के अनुसार इस किले का निर्माण गोंडराजा जादव राय द्वारा कराया गया था, यह किला गोंडा राजवंश की राजधानी हुआ करता था. किले की मजबूत दीवारें और वास्तुकलां इस बात का प्रमाण है. भले ही वर्तमान में यह किला खण्डहर में तब्दील हो गया हो, लेकिन इसकी भव्यता आज उस गौरवशाली इतिहास को बयां करती हैं.

जनजातीय विरासत का महत्वपूर्ण संग्रहालय
आदिवासी संस्कृति का जीवंत केन्द्र बादलभोई संग्रहालय है. आदिवासी संस्कृति को समझने के लिए यह संग्रहालय उपयुक्त है. इस संग्रहालय में गोंड, भारिया, कोरकू, प्रधान और भील जैसी जनजातियों की जीवनशैली, उनके कला कौशल, पारंपरिक वेशभूता और औजारों को संग्रहित किया गया है. जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं.

हिल स्टेशन से कम नहीं तामिया
जिले में अनेक प्राकृतिक खूबसूरती के नजारे हैं, इन्हीं में से एक है तामिया जो किसी हिल स्टेशन से कम नहीं. सतपुड़ा पर्व श्रंखला के बीच बसा यह एक शांत और मनमोहक मिनी हिल स्टेशन कहलाता है. यहां गहरी घाटियां, घने जंगल, ठंडी हवाएं लोगों के मन को मोह लेती है. यहां सूर्यादय और सूर्यास्त का नजारा देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं.

101 फीट ऊंची है हनुमान जी की मूर्ति
धार्मिक आस्था के मामले में भी छिंदवाड़ा में एक से बढक़र एक धार्मिक स्थल है. इन्हीं में से एक है छिंदवाड़ा-नागपुर राजमार्ग पर स्थित सिमरिया कला हनुमान मंदिर. यहां 101 फीट ऊंची भव्य हनुमान जी की मूर्ति पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है. यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केन्द्र है. इसी तरह जामसांवली हनुमान मंदिर भी महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है.
जल संसाधनों के मामले में भी समृद्ध है छिंदवाड़ा
प्राकृतिक जल संसाधनों के लिए मामले में भी छिंदवाड़ा काफी समृद्ध है. यहां अनेक नदी, झरने, तालाब मौजूद हैं, जो यहां की खूबसूरती को चार चांद लगाते हैं. घने जंगलों के बीच बहला लीलाही झरना मानसूनी सीजन में पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केन्द्र रहता है. इसी तरह तमिया के पास स्थित कुक्ड़ीखापा झरना भी शांत वातावरण देता है.
जिले में बहती है 6 नदियां
जिले में छह नदियां बहती हैं, जिनमें कान्हान नदी, पेंच नदी, जाम नदी, कुलबेहरा नदी, शक्कर नदी और दूध नदी शामिल हैं. दूध नदी पातालकोट की घाटी से बहती है, जबकि शक्कर नदी जिले के अमरवाड़ा से निकलती है और उत्तर दिशा में बहते हुए नर्मदा नदी में मिल जाती है. जबकि कुलबेहरा नदी का उद्गम स्थल उमरेठ है. यह छिंदवाड़ा तथा मोहखेड़ा से होते हुए पेंच नदी में मिल जाती है. वहीं जाम नदी सौसर क्षेत्र से बहती है, जबकि कन्हान नदी में मिलती है. पेंच नदी छिंदवाड़ा और सिवनी जिलों के सीमावर्ती क्षेत्रों में बती है. यह छिंदवाड़ा से जिले से निकलती है और कान्हान नदी में मिल जाती है. यह नदी पेंच राष्ट्रीय उद्यान के वन्यजीवों के लिए भी सहायक है. इसी तरह कन्हान नदी जिले की सबसे प्रमुख नदियों में से एक है, जो सतपुड़ा पर्वत श्रंृखला से निकलती है और दक्षिण दिशा में बहती हुई महाराष्ट्र की ओर जाती है.

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