Chhindwara News: प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर नगर निगम छिंदवाड़ा का बड़ा कारनामा सामने आया है। निगम ने लोगों को मकान तो बेच दिए लेकिन उनकी ज़मीन का डायवर्सन ही नहीं कराया। रजिस्ट्री के समय खरीदारों को जब यह हकीकत पता चली तो सब दंग रह गए। दरअसल साल 2018 में नगर निगम ने सोनपुर रोड स्थित आनंदम, इमलीखेड़ा, परतला और खजरी इलाके में मकान और प्लॉट बनाए थे। इन्हें ग्रीनलैंड बताकर बेचा भी गया। आनंदम में 223, इमलीखेड़ा में 78, खजरी में 43 और परतला में 23 मकान लोगों को सौंपे गए। लेकिन इन सबकी जमीन का डायवर्सन ही नहीं हुआ था।
नगर निगम की बड़ी लापरवाही
एसडीएम सुधीर जैन ने साफ कहा कि बिना डायवर्सन कॉलोनी को वैध नहीं माना जाता। न तो डेवलपमेंट की इजाजत मिलती है और न ही बुनियादी सुविधाएं दी जा सकती हैं। ऐसे में निगम द्वारा बनाई गई ये कॉलोनियां तकनीकी रूप से अवैध हैं। मामले में रेरा और बैंकों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। एडवोकेट अमित सिंह का कहना है कि जब जमीन का डायवर्सन ही नहीं था तो रेरा ने प्रोजेक्ट को मंजूरी कैसे दे दी? वहीं 31 से 42 लाख तक कीमत वाले इन मकानों पर बैंक ने भी लोन मंजूर कर दिया जबकि आमतौर पर बिना डायवर्सन लोन पास नहीं होता।
इमलीखेड़ा में मकान खरीदने वाली हितग्राही पुष्पलता का कहना है कि मकान 5 साल की देरी से मिला और अब पता चला कि जमीन का डायवर्सन ही नहीं है। ऊपर से आज तक उन्हें मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिलीं।
सबसे हैरानी की बात यह है कि शहर में अगर कोई निजी कॉलोनाइज़र बिना डायवर्सन कॉलोनी बनाए तो नगर निगम खुद उस पर कार्रवाई करता है। लेकिन इस बार खुद निगम ने ही नियम तोड़ दिए। निगम कमिश्नर चंद्र प्रकाश राय ने सफाई दी कि यह प्रोजेक्ट उनके कार्यकाल से पहले का है लेकिन अब खरीदारों की जमीन का डायवर्सन कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।