Chhindwara News: मध्यप्रदेश के पांढुर्ना जिले में हर साल की तरह इस बार भी गोटमार मेले का आयोजन हुआ। शनिवार को सुबह 10 बजे से जाम नदी के किनारे शुरू हुए इस मेले ने देखते ही देखते हिंसक रूप ले लिया। परंपरा के नाम पर पांढुर्ना और सांवरगांव के लोगों ने एक-दूसरे पर जमकर पत्थरबाजी की। दोपहर 2 बजे तक लगभग 350 लोग घायल हो चुके थे जबकि शाम तक यह आंकड़ा 500 पार कर गया। इनमें से कई घायलों को गंभीर चोटें आईं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। प्रशासन ने अस्थायी स्वास्थ्य शिविर लगाए और घायलों का इलाज वहीं शुरू हुआ।
मेले से शुरू हुआ पूरा विवाद
मेले की वजह से पूरा पांढुर्ना छावनी में तब्दील हो गया। हालात संभालने के लिए पांच जिलों की पुलिस रिजर्व बल और लगभग 600 जवान तैनात किए गए थे। जबलपुर, कटनी, सिवनी, छिंदवाड़ा और नरसिंहपुर से भी अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया। बावजूद इसके दोनों गांवों के बीच पत्थरबाजी को रोकना आसान नहीं रहा।
300 साल पुरानी है मेले की परंपरा
इस मेले की जड़ें करीब 300 साल पुरानी बताई जाती हैं। कहा जाता है कि कभी पांढुर्ना के एक युवक और सांवरगांव की एक युवती को प्रेम हो गया था। दोनों शादी कर भाग रहे थे लेकिन जाम नदी पार करते समय ग्रामीणों ने उन्हें पकड़ लिया और पत्थर बरसाने लगे। पत्थरों की मार से दोनों की मौत हो गई। बाद में दोनों गांवों ने प्रेमियों का अंतिम संस्कार कर उनकी याद में इस परंपरा को शुरू किया। तभी से हर साल जाम नदी के बीच पलाश का पेड़ गाड़कर उस पर झंडी बांधी जाती है। इस झंडी को तोड़ने की होड़ में दोनों गांवों के लोग एक-दूसरे पर पत्थर फेंकते हैं। विजेता गांव वह माना जाता है जो झंडी तोड़कर माता चंडी के मंदिर में चढ़ाता है।