भोपाल। MPPSC को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से झटका लगा है। हाईकोर्ट की युगल पीठ, ने MPPSC 2025 की मुख्य परीक्षा के प्रस्तावित शेड्यूल को मंजूरी देने से फिलहाल इनकार कर दिया है। पीठ में चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ शामिल थे। कोर्ट का कहना है कि, दूसरे पक्ष को सुने बिना शेड्यूल को हरी झंडी नहीं दी जा सकती।
मामले में अगली सुनवाई 9 अक्टूबर 2025 को तय की गई है। यह फैसला आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की याचिका पर आया, जिन्होंने प्रारंभिक परीक्षा परिणाम में कट-ऑफ अंकों की अनियमितता का आरोप लगाया है।
दरअसल, भोपाल के सुनीत यादव, नरसिंहपुर के पंकज जाटव और बैतूल के रोहित कावड़े ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि MPPSC ने 158 पदों की भर्ती के लिए 5 मार्च 2025 को प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम घोषित किया लेकिन वर्गवार कट-ऑफ अंक जारी नहीं किए गए। यह प्रक्रिया पूर्व की सभी परीक्षाओं से उलट थी, जहां कट-ऑफ अंक सार्वजनिक किए जाते थे।
याचिकाकर्ताओं का दावा है कि, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्देशों के बावजूद आयोग ने अनारक्षित पदों पर आरक्षित वर्ग के योग्य अभ्यर्थियों का चयन नहीं किया और सभी अनारक्षित पदों को सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया।
याचिकाकर्ताओं ने आयोग पर असंवैधानिक त्रुटि को छिपाने का गंभीर आरोप लगाया। उनका कहना है कि वर्गवार कट-ऑफ अंक न जारी कर आयोग ने पारदर्शिता का उल्लंघन किया, जिसके चलते कई योग्य आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा में हिस्सा लेने से वंचित हो गए। याचिकाकर्ताओं ने मांग की कि मुख्य परीक्षा का शेड्यूल लागू करने से पहले इस त्रुटि को सुधारा जाए और योग्य अभ्यर्थियों को अवसर दिया जाए।
युगल पीठ ने याचिका पर सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि दोनों पक्षों को सुने बिना शेड्यूल को मंजूरी देना उचित नहीं होगा। कोर्ट ने MPPSC और शासन को 9 अक्टूबर तक जवाब तैयार करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि आयोग की गलती ने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय किया है। कोर्ट ने आवश्यक आदेश जारी करते हुए सुनवाई स्थगित कर दी।