– संसद में कांग्रेस के 4 तो भाजपा के 6 जनप्रतिनिधियों ने किया प्रतिनित्व
– संसदीय सीट पर 1996 से वर्तमान तक भाजपा का ही कब्जा
– जबलपुर की धरती ने दिए अनेक दिग्गज नेता
Jabalpur News : जबलपुर. देश की आजादी के बाद से मध्यप्रदेश के लिए राजनीति का प्रमुख केन्द्र जबलपुर ही रहा है. जबलपुर की धरती ने प्रदेश और देश को अनेक दिग्गज नेता दिए हैं. शुरुआती दौर में जबलपुर का नेतृत्व कांग्रेस ने किया, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के उभार के बाद जबलपुर की धरती भाजपा का गढ़ बनती गई.
जबलपुर की धरती से राजनीति करने वाले पुराने दिग्गज नेताओं की बात करें तो यहां से सेठ गोविंद दास (जो महात्मा गांधी के करीबी अनुयायी थे), दादा रामकृष्ण अडगांवकर, शरद यादव, अजय नारायण मुशरान, जयश्री बनर्जी, कैलाश सारंग व वर्तमान में राकेश सिंह शामिल हैं. जबलपुर के यह नेता प्रदेश सहित केन्द्र की राजनीति में बड़े-बड़े पदों पर आसीन रहे. जबलपुर ने केन्द्रीय मंत्री, प्रदेश सरकार में मंत्री, प्रदेश अध्यक्ष आदि दिए हैं.
1952 से अस्तित्व में आई लोकसभा सीट
साल 1952 से जबलपुर लोकसभा सीट अस्तित्व में आई. 1952 में सबसे पहले सांसद सुशील कुमार पटेरिया रहे. इसके बाद 1957 से 1971 तक कांग्रेस से सेठ गोविंद दास यहां से सांसद रहे. उपचुनाव में 1974 में भारतीय लोकदल से शरद यादव, 1977 में जनता पार्टी से शरद पंवार, 1980 में चेतराम सोनकर कांग्रेस, 1984-1989 भाजपा से बाबूराव परांजंपे, 1991 में कांग्रेस से श्रवण कुमार पटेल, 1996-1998 में भाजपा से बाबूराव परांजपे, 1999 में भाजपा से जयश्री बनर्जी, 2004 से 2919 तक भाजपा से राकेश सिंह, जबकि वर्तमान में भाजपा से आशीष दुबे संसद में जबलपुर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
8 विधानसभा सीटों में बटा जबलपुर
जबलपुर आठ विधानसभा सीटों में बटा है, जिनमें पाटन, बरगी, जबलपुर पूर्व, जबलपुर उत्तर, जबलपुर कैंट, जबलपुर पश्चिम, पनागर और सिहोरा शामिल हैं. इन आठ सीटों में 6 सीटें अनारक्षित हैं, जबकि एक सीट जबलपुर कैंट अनुसूचित जाति, वहीं सिहोरा विधानसभा अनुसूचित जातिजाति के खाते में जाति है.
8 विधानसभा सीटों में से 7 पर बीजेपी काबिज
जिले में आठ विधानसभा सीटें शामिल हैं. खास बात यह है कि वर्तमान में इन आठ सीटों में से सात सीटों पर बीजेपी काबिज है, जबकि महज एक सीट कांग्रेस के पाले हैं. साल 2023 के विधानसभा में कैंट विधानसभा में बीजेपी विधायक अशोक रोहाणी ने जीत दर्ज की थी, जबकि उत्तर से अभिलाष पांडे, पश्चिम से राकेश सिंह, बरगी से नीरज सिंह, पाटन से अजय विश्नोई, सिहोरा से संतोष बरकड़े, पनागर से सुशील इंदू तिवारी विधायक बने. महज एक सीट पूर्व विधानसभा से कांग्रेस के लखन घनघोरिया ने विजयश्री हासिल की थी.
पुराने नामों से परिचित नहीं नई पीढ़ी
बता दें प्रदेश-देश के पटल पर जबलपुर को पहचान दिलाने वाले अनेक दिग्गज रहे, जिनसे नई पीढ़ी परिचित नहीं होगी. इन दिग्गजों में सबसे पहले नाम आता है सेठ गोविंद दास का जो स्वतंत्रता संग्राम में भी सहभागी रहे. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सबसे करीबी अनुयायियों में शामिल रहे. वह आजादी के बाद लंबे समय तक जबलपुर से सांसद रहे. इसी कड़ी में दूसरा नाम है दादा रामकृष्ण अडगांवकर का, जो प्रभावशाली नेताओं में शामिल रहे. पंडित भवानी प्रसाद तिवारी, जो कांग्रेस के शीर्ष नेताओं में शामिल रहे. शरद यादव, जो राजनीति तो बिहार से करते थे, लेकिन जबलपुर में उनकी गहरी जड़े थी. दो बार जबलपुर लोकसभा सीट का भी प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. अजय नारायण मुशरान मप्र सरकार में कई महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री पद का दायित्व संभाल चुके हैं. जयश्री बनर्जी यह भाजपा की एक महिला नेत्री रहीं जो जबलपुर से सांसद रहीं, प्रदेश की राजनीति में भी सक्रिय रहीं.