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Jabalpur News : गणेश प्रतिमा के पीछे छिपे बैठे थे नागराज!

– कोबरा प्रजाति का था सांप, श्रद्धालुओं में मचा हडक़ंप, विशेषज्ञ ने पकड़ा, जंगल में छोड़

Jabalpur News : जबलपुर. शहर के तिलवारा क्षेत्र स्थित रेवा कालोनी के गणेश पंडाल में बीती रात अफरा तफरी का माहौल निर्मित हो गया. दरअसल, मंच पर विराजमान भगवान श्री गणेश की प्रतिमा के पीछे चार फीट के नागराज बैठे थे, जैसे ही समिति सदस्यों ने नागराज को देखा तो डर का माहौल निर्मित हो गया.
समिति सदस्यों के अनुसार पिछले तीन दिनों से पंडाल के आसपास यह सांप दिखाई दे रहा था, लेकिन रविवार की रात को यह नागराज पंडाल में ही घुस गए और गणपति महाराज की प्रतिमा के पीछे जा बैठे. नागराज के होने की सूचना से कुछ देर के लिए हडक़ंप की स्थिति बन गई. फिर पुरोहित जितेंद्र चौबे की सूचना पर सर्व विशेषज्ञ गजेंद्र दुबे पहुंचे, उन्होंने बताया कि यह कोबरा प्रजाति का सांप है. कड़ी मशक्कत के बाद उन्होंने पकड़ा और बरगी के जंगल में छोड़ दिया.

कोबरा प्रजाति के अनेक प्रकार
– विशेषज्ञ गजेंद्र दुबे के अनुसार कोबरा प्रजाति में अनेक प्रजाति के सांप होते हैं. जिनमें सबसे पहला नाम आता है नाजा. यह प्रजाति भारत में सबसे ज्यादा पाई जाती है, इसकी पहचान इसके फन पर बने चश्मे या गोल निशान से होती है.
– किंग कोबरा: यह दुनिया का सबसे लंबा जहरीला सांप होता है. यह इतना खतरनाक होता है कि अन्य सांपों को भी खा जाता है. इसका जहर बहुत ही खतरनाक होता है.
– स्पिटिंग कोबरा: यह सांप की प्रजाति अपने खतरे को भांपकर सीधे उसकी आंखों को निशाना बनाते हैं. यह जहर थूककर खतरे की आंखों में भर देते हैं. आंखों में जहर जाने से जलन और अंधेपन की शिकायत हो जाती है.
– फॉरेस्ट कोबरा: यह प्रजाति अफ्रीका में पाई जाती है. इसकी लंबाई बहुत होती है, यह जंगलों में रहता है. काफी फुर्तीला होता है.
कोबरा सांप की स्वभाव
कोबरा प्रजाति के सांप आमतौर पर दिन की अपेक्षा रात के समय ज्यादा सक्रिय रहते हैं. किसी भी खतरे को भांपकर यह तुरंत अपना फन फैला लेता है. कोबरा प्रजाति के सांपों को एकांत पसंद रहता है. वह घनी झाडिय़ों या चट्टानों के नीचे पाए जाते हैं.
कोबरा के डंसने का नुकसान
कोबरा प्रजाति के सांप यदि किसी को डंस लेता है तो वह बहुत प्रभावी होता है, उसका अनेक नुकसान है. जैसे मांसपेशियों और तंत्रिकाओं के बीच संचार को रोक देता है. काटने के कुछ ही मिनटों में असर होने लगता है. आंखों की पुतलिया सिकुड़ जाती है. सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. गले में दर्द व कुछ निगलने में परेशानी आती है. यदि समय पर इलाज न मिलने तो व्यक्ति मौत हो सकती है.

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