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Jamsawali Hanuman Mandir : रामायण – महाभारत काल से जुड़ा रहस्यमयी और चमत्कारी मंदिर

Jamsawali Hanuman Mandir

Jamsawali Hanuman Mandir : छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश। क्या आपने कभी ऐसे मंदिर के बारे में सुना जहां हनुमान जी की प्रतिमा लेटी हुई अवस्था में विराजमान हो और उनकी नाभि से निकलने वाला जल असाध्य रोगों को दूर भगाए? मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में स्थित जाम सावली हनुमान मंदिर एक ऐसा चमत्कारी स्थल है जो पौराणिक कथाओं, आस्था और चमत्कारों से भरा पड़ा है। दंडकारण्य की गोद में जाम और सर्पा नदी के संगम पर पीपल के वृक्ष की छांव में बसा यह मंदिर श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी करने के लिए प्रसिद्ध है। आइए, इस रहस्यमयी मंदिर की पौराणिक जानकारी और कथाओं पर एक नजर डालते हैं।

स्वयंभू हनुमान जी: प्रकट होने का रहस्य
जाम सावली मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है स्वयंभू (स्वयं प्रकट हुई) हनुमान जी की प्रतिमा, जो लगभग 15 फीट लंबी और लेटी हुई अवस्था में है। मंदिर के इतिहास में कोई प्रमाण नहीं मिलता कि यह मूर्ति कब और किसने स्थापित की। मान्यता है कि हनुमान जी स्वयं यहां प्रकट हुए थे। राजस्व अभिलेखों में 100 वर्ष पूर्व पीपल के वृक्ष के नीचे महावीर हनुमान का उल्लेख मिलता है।

प्रचलित मान्यता के अनुसार, प्रतिमा पहले सीधी खड़ी थी। कुछ लालची लोगों ने मूर्ति के नीचे गुप्त धन होने के संदेह में इसे हटाने की कोशिश की लेकिन प्रतिमा स्वतः लेट गई। 20-20 घोड़ों और बैलों से खींचने पर भी इसे हिलाया नहीं जा सका। यह घटना मंदिर की दिव्यता को और मजबूत करती है। दुनिया में हनुमान जी की लेटी हुई प्रतिमा वाले गिने-चुने मंदिर हैं, जैसे महाराष्ट्र का भद्रा मारुति और उत्तर प्रदेश का इलाहाबाद का मंदिर।

रामायण काल से जुड़ी कथा: संजीवनी बूटी का विश्राम स्थल
पौराणिक कथाओं में इस मंदिर का सीधा संबंध रामायण से है। कहा जाता है कि जब मेघनाथ ने लक्ष्मण को शक्ति बाण से मूर्छित कर दिया, तब हनुमान जी संजीवनी बूटी से भरा सुमेरु पर्वत हिमालय से लंका ले जा रहे थे। रास्ते में वे इसी पीपल के पेड़ के नीचे विश्राम करने रुके। इस जनकथा से मंदिर की प्राचीनता और महत्व का पता चलता है। श्रद्धालु मानते हैं कि हनुमान जी की यह लेटी हुई मुद्रा उसी विश्राम की याद दिलाती है, जो उनकी निस्वार्थ सेवा और समर्पण का प्रतीक है।

महाभारत काल की कहानी: भीम का गर्वहरण
एक अन्य प्रचलित कथा महाभारत से जुड़ी है। कहा जाता है कि इसी स्थान पर हनुमान जी ने पांडवों के भाई भीम का गर्व तोड़ा था। भीम अपनी शक्ति पर घमंड करते हुए यहां आए, लेकिन हनुमान जी ने उन्हें अपनी पूंछ भी न हटा पाने की चुनौती दी। इस घटना से भीम को अपनी सीमाओं का अहसास हुआ। यह कथा मंदिर को महाभारत काल से जोड़ती है और श्रद्धालुओं में विनम्रता का संदेश देती है।

चमत्कारों का केंद्र: आस्था की जीत
यह मंदिर सिर्फ पौराणिक नहीं, बल्कि चमत्कारिक भी है। श्रद्धालु मानते हैं कि सच्चे मन से आने वालों की हर मनोकामना पूरी होती है। असाध्य रोग जैसे कैंसर, लकवा, मानसिक विकार और प्रेत बाधा से पीड़ित लोग यहां चमत्कारिक रूप से ठीक हो जाते हैं। हनुमान जी की नाभि से निकलने वाला प्राकृतिक जल (चरणामृत) को छूने से मिलने वाला यह अमृत विशेष महत्व रखता है। भक्त इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं और मानते हैं कि यह सभी कष्टों को दूर करता है। शनिवार और मंगलवार को पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है, और आरती के बाद चरणामृत का वितरण होता है।

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