MP Breaking : मध्यप्रदेश में कथित तौर पर कफ सिरप पीने से हुई बच्चों की मौत की सीबीआई जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। एक वकील द्वारा दायर जनहित याचिका में दूषित कफ सिरप के निर्माण, विनियमन, परीक्षण और वितरण की सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में जांच और पूछताछ की मांग की गई है।
अधिवक्ता विशाल तिवारी ने कहा, “हमने जो याचिका दायर की है, उसमें हमने उल्लेख किया है कि सितंबर से कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत की कई घटनाएं हुई हैं। हमारी प्रार्थना है कि निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक न्यायिक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाए।”
बताया जा रहा है कि, एसडीओपी जितेंद्र सिंह जाट के नेतृत्व में बनी एसआईटी तमिलनाडु जाकर दवा कंपनी की जांच करने जाने वाली है और डॉक्टर प्रवीण सोनी जिन्होंने दवा लिखी उनको निलंबित कर दिया गया है।
कफ सिरप में जहरीला केमिकल DEG –
खुलासा हुआ कि, सिरप में खतरनाक जहरीला केमिकल DEG यानी डायएथिलीन ग्लाइकॉल मौजूद था। कोल्ड्रिफ (Coldrif) सिरप में 46.2% DEG पाया गया। तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट ने यह रिपोर्ट जारी की थी। DEG की बात की जाए तो इसका यूज एंटी-फ्रीज और ब्रेक फ्लूइड के रूप में होता है। ये केमिकल किडनी खराब करने के लिए काफी है।
6 राज्यों में दवा फैक्ट्रियों की छानबीन –
जब मौत का आंकड़ा 14 पहुंच गया तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 6 राज्यों में दवा फैक्ट्रियों की गहन छानबीन शुरू कर दी है।
WHO ने जारी किया था अलर्ट –
लेकिन क्या ऐसा पहली बार हुआ है जब भारत में बने कफ सिरप ने लोगों की जान ली है? इसका जवाब है नहीं। अगर आपको याद हो तो साल 2022 में भी वेस्ट अफ्रीकी देश गांबिया में हरियाणा की मेडेन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड द्वारा निर्मित कफ सिरप पीने से 66 बच्चों की मौत हुई थी। इस घटना के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत के बने कई कफ सिरप को लेकर अलर्ट जारी किया था।