MP News : मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में जहरीली खांसी की दवा से 16 बच्चों की दुखद मौत के बीच, सीहोर ज़िले से एक और दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है।
पिपलिया मीरा गांव की एक 2 साल की बच्ची की कथित तौर पर एक ‘झोलाछाप’ डॉक्टर के गलत इलाज के कारण मौत हो गई। बच्ची की पहचान दीक्षा के रूप में हुई है। परिवार के अनुसार, दीक्षा खांसी और बुखार से पीड़ित थी। उसके रिश्तेदार उसे बरखेड़ी गाँव में अशोक विश्वकर्मा द्वारा संचालित मुस्कान क्लिनिक ले गए।
इंजेक्शन के बाद कोमा में गई बच्ची :
कथित तौर पर डॉक्टर ने उसे 2 अक्टूबर को एक इंजेक्शन दिया, जिसके बाद बच्ची कोमा में चली गई। उसे पहले सीहोर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया और बाद में भोपाल के हमीदिया अस्पताल रेफर कर दिया गया, जहाँ उसकी हालत गंभीर बनी रही।
भोपाल के एक निजी अस्पताल में इलाज के बावजूद, दीक्षा को होश नहीं आया और मंगलवार सुबह उसकी मौत हो गई। परिवार ने डॉक्टर पर लापरवाही और गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप लगाया है।
बच्चे का पोस्टमॉर्टम कराया जा रहा :
कोतवाली थाना प्रभारी रवींद्र यादव ने बताया कि पुलिस को परिवार की ओर से लिखित शिकायत मिली है और जाँच शुरू कर दी गई है। बच्चे का पोस्टमॉर्टम कराया जा रहा है और रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
यह घटना राज्य भर की चिकित्सा पद्धतियों पर गंभीर चिंता पैदा करती है और अधिकारियों से तत्काल हस्तक्षेप की माँग करती है। गौरतलब है कि छिंदवाड़ा में डॉक्टरों द्वारा लिखी गई कोल्ड्रिफ कफ सिरप के कारण पिछले कुछ दिनों में कम से कम 16 बच्चों की किडनी फेल होने से मौत हो गई। जाँच में पता चला कि सिरप में विषाक्त पदार्थ थे, जिसके बाद मध्य प्रदेश में इसे प्रतिबंधित कर दिया गया।
मध्य प्रदेश के बाद, केरल और पंजाब जैसे कई अन्य राज्यों ने भी कोल्ड्रिफ की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है।