नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार को जोरदार फटकार लगाते हुए सागर के एक बलात्कार मामले के दोषी सोहन सिंह को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है। दरअसल, सोहन सिंह को सजा पूरी होने के बाद भी 4.7 साल अतिरिक्त जेल में रखा गया, जिसे कोर्ट ने गंभीर चूक माना।
न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने इस मामले में मध्य प्रदेश सरकार की लापरवाही पर सख्त नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि यह “न्याय का मजाक” है कि एक व्यक्ति को सजा से ज्यादा समय तक जेल में रहना पड़ा।
क्या है पूरा मामला?
सोहन सिंह को 2004 में सागर के सत्र न्यायालय ने बलात्कार और अन्य अपराधों के लिए आजीवन कारावास और 2,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। बाद में, 2007 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने उनकी सजा को घटाकर 7 साल कर दिया। लेकिन, सरकार और जेल प्रशासन की गलती से सोहन को इस साल जून तक, यानी 4.7 साल अतिरिक्त जेल में रहना पड़ा।
कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश सरकार के वकील नचिकेता जोशी द्वारा दायर हलफनामे को “भ्रामक” करार दिया। कोर्ट को पहले बताया गया था कि सोहन ने 8 साल अतिरिक्त सजा काटी, लेकिन बाद में पता चला कि वह कुछ समय जमानत पर बाहर था। फिर भी, 4.7 साल की अतिरिक्त सजा को कोर्ट ने गंभीर माना और मुआवजे का आदेश दिया।
मुआवजा और आगे की कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को सोहन सिंह को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। साथ ही, मध्य प्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह ऐसे अन्य मामलों की जांच करे, जहां कैदियों को सजा से ज्यादा समय तक जेल में रखा गया हो।
इस फैसले ने मध्यप्रदेश के जेल प्रशासन और सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की चूक न केवल व्यक्ति के अधिकारों का हनन है, बल्कि यह न्याय व्यवस्था पर भी धब्बा है। यह मामला अब पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है।