MP IAS Transfers : मध्यप्रदेश। अफसरों की तबादला सूची जारी होने के बाद कुछ अधिकारियों में असंतोष की भावना आ गई है। राज्य में हालात ऐसे हो गए हैं कि, कई जूनियर अधिकारी बड़े जिलों के कलेक्टर बन गए हैं। इसके उलट ज्यादा एक्सपीरियंस वाले अधिकारियों को छोटे जिलों की कमान मिली है।
आमतौर पर कलेक्टरों की नियुक्ति शहरों की श्रेणी के आधार पर की जाती है लेकिन हाल ही में जारी तबादला सूची को देखकर लगता है इस बार परंपरा को दरकिनार कर दिया गया है।
भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर श्रेणी I में आते हैं। संभागीय मुख्यालय वाले जिले श्रेणी II में आते हैं। कुछ महत्वपूर्ण जिलों को श्रेणी III में रखा गया है। छोटे और नए जिलों को श्रेणी IV में रखा गया है। कुछ जिले ऐसे भी हैं जहाँ कलेक्टरों को एक या दो स्थानों पर स्थानांतरण के बाद पदस्थ किया गया था।
कुछ आईएएस अधिकारियों को उनकी पहली पोस्टिंग में ही बड़े जिलों में भेज दिया गया है।
– 2013 बैच के आईएएस अधिकारी शिवम वर्मा और राघवेंद्र सिंह को क्रमशः इंदौर और जबलपुर का कलेक्टर बनाया गया है।
– इसी तरह, 2012 बैच के आईएएस अधिकारी प्रतिभापाल सिंह और स्वरोचिश सोमवंशी, जो इन दोनों से वरिष्ठ हैं, क्रमशः रीवा और सीधी में तैनात हैं।
– 2011 बैच की आईएएस अधिकारी रुचिका चौहान ग्वालियर में तैनात हैं।
– 2016 बैच के जिन आईएएस अधिकारियों को महत्वपूर्ण जिलों में भेजा गया है, उनमें गौरव बनेल (सिंगरौली), हरेंद्र नारायण (छिंदवाड़ा), किरोड़ी लाल मीणा (भिंड), मीशा सिंह (रतलाम) और आशीष तिवारी (कटनी) शामिल हैं।
2014 बैच के अधिकारियों को छोटे जिले –
2014 बैच के अधिकारी, जो ऊपर बताए गए अधिकारियों से वरिष्ठ हैं, छोटे जिलों में स्थानांतरित किए गए हैं। ये अधिकारी हैं नेहा मीणा (झाबुआ), रिजु बाफना (शाजापुर), आदित्य सिंह (अशोकनगर) और अरुण विश्वकर्मा (रायसेन)।
इसी बैच की शीतला पटले को तीसरे जिले सिवनी और लोकेश जांगिड़ को मुरैना का कलेक्टर बनाया गया है। 2015 बैच के कुछ अधिकारियों को छोटे ज़िलों में भेजा गया है। ये हैं हर्ष सिंह (बुरहानपुर), ऋतुराज (देवास), अर्पित वर्मा (श्योपुर), हर्षल पंचोली (अनूपपुर), और बालागुरु के (सीहोर)।
2011, 2012 और 2013 बैच के कुछ पदोन्नत अधिकारियों को छोटे ज़िलों में भेजा गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जिन अधिकारियों को तीसरे ज़िले में कलेक्टर नियुक्त किया गया था, उन्हें पहली पोस्टिंग में ही बड़े ज़िले दिए गए थे।
कम एक्सपीरियंस और बड़ी जिम्मेदारी –
छोटे – छोटे जिलों में काम कर चुके लोगों को बड़े जिलों की जिम्मेदारी इसलिए दी जाती थी क्योंकि तब तक अनुभवी हो जाते थे। इसके चलते उन्हें कई प्रशासनिक कठिनाइयों का सामना करने में परेशानी नहीं होती थी लेकिन अब जब कम अनुभव के अधिकारी को बड़े जिलों की जिम्मेदारी दी जा रही तब बड़े अधिकारियों में असंतोष तो है ही साथ की प्रशानिक चिंताएं भी गहरा रही हैं।