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बीना MLA निर्मला सप्रे का BJP में विलय : कांग्रेस फिर कोर्ट पहुंची, सदस्यता खतरे में!

Bina MLA Nirmala Sapre

भोपाल। मध्यप्रदेश की राजनीति में नया ड्रामा शुरू हो गया है। सागर जिले के बीना विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की विधायक निर्मला सप्रे (Bina MLA Nirmala Sapre) ने BJP का दामन थाम लिया, लेकिन विधानसभा की सदस्यता नहीं छोड़ी। अब कांग्रेस ने फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दल-बदल कानून के तहत उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग की गई है। क्या निर्मला की कुर्सी छिन जाएगी?

निर्मला सप्रे 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर बीना से जीतीं। लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने सागर के राहतगढ़ में CM डॉ. मोहन यादव के सामने BJP के मंच पर आकर पार्टी जॉइन करने की घोषणा कर दी। वे लगातार BJP के कार्यक्रमों में हिस्सा ले रही हैं, लेकिन विधानसभा में इस्तीफा नहीं दिया। कांग्रेस का कहना है कि यह साफ दल-बदल है।

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई की मांग की। लेकिन 90 दिनों में कोई फैसला नहीं आया। सिंघार ने हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में याचिका दाखिल की, लेकिन कोर्ट ने क्षेत्राधिकार का हवाला देकर याचिका खारिज कर दी। अब सिंघार ने हाईकोर्ट जबलपुर में नई याचिका दायर की है।

कोर्ट का फैसला: जबलपुर ही सही जगह
इंदौर बेंच ने कहा कि बीना सागर जिले में है, जो जबलपुर बेंच के क्षेत्राधिकार में आता है। विधानसभा सचिवालय ने भी यही तर्क दिया था। अब जबलपुर हाईकोर्ट में मामला सुनवाई के लिए पहुंच गया है। सिंघार ने कोर्ट से विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश देने की मांग की है कि वे दल-बदल कानून लागू करें।

सिंघार का तंज: BJP डर रही है हार से!
उमंग सिंघार ने कहा, “निर्मला सप्रे ने दल-बदल किया है। वे BJP की बैठकों में आ-जा रही हैं, इसके सबूत हमारे पास हैं। BJP उन्हें बचा रही है, क्योंकि पहले रामनिवास रावत का इस्तीफा कराकर उपचुनाव लड़वाया था, जिसमें वे हार गए। अब बीना में भी हार का डर है, इसलिए मामला उलझा रही है।” सिंघार ने मांग की कि सप्रे की सदस्यता रद्द हो और 6 साल तक चुनाव न लड़ सकें।

निर्मला का रुख: घोषणा तो की, लेकिन…
निर्मला सप्रे ने रिकॉर्ड पर BJP जॉइनिंग स्वीकार नहीं की, लेकिन उनके BJP कार्यक्रमों में शामिल होने के वीडियो और फोटो वायरल हैं। कांग्रेस का आरोप है कि वे पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं। अगर कोर्ट ने दल-बदल कानून लागू किया, तो बीना में उपचुनाव होगा।

यह मामला मध्य प्रदेश की सियासत को गरमा सकता है। क्या जबलौर हाईकोर्ट कांग्रेस के पक्ष में फैसला देगा? या BJP अपनी चाल चलकर मामला लटकाए रखेगी? सिंघार ने कहा, “इसे लंबा न खींचें, कानून सबके लिए बराबर है।” बीना के वोटरों की नजरें अब कोर्ट पर टिकी हैं।

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