Chhindwara Cough Syrup Scandal : मध्यप्रदेश। छिंदवाड़ा कफ सिरप कांड में जितनी लापरवाही की तफ्तीश की जाए उतनी ही कम है। जहां नजर डालो वहां अव्यवस्था और भ्रष्टाचार का काला धब्बा नजर आता है। अब तक जहरीले कफ सिरप ने 16 बच्चों की जान ले ली है।
कुछ 8 मासूम अब भी अस्पताल में भर्ती हैं। इनमें से भी 3 क्रिटिकल हालत में हैं। इस सब के बाद अब पहली बार किसी मृत बच्चे का पोस्टमार्टम होने जा रहा है। जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी गई है और कफ सिरप बनाने वाली कंपनी के खिलाफ केस दर्ज हुआ।
बताया जा रहा है कि, एसडीओपी जितेंद्र सिंह जाट के नेतृत्व में बनी एसआईटी तमिलनाडु जाकर दवा कंपनी की जांच करने जाने वाली है और डॉक्टर प्रवीण सोनी जिन्होंने दवा लिखी उनको निलंबित कर दिया गया है।
कफ सिरप में जहरीला केमिकल DEG –
खुलासा हुआ कि, सिरप में खतरनाक जहरीला केमिकल DEG यानी डायएथिलीन ग्लाइकॉल मौजूद था। कोल्ड्रिफ (Coldrif) सिरप में 46.2% DEG पाया गया। तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट ने यह रिपोर्ट जारी की थी। DEG की बात की जाए तो इसका यूज एंटी-फ्रीज और ब्रेक फ्लूइड के रूप में होता है। ये केमिकल किडनी खराब करने के लिए काफी है।
6 राज्यों में दवा फैक्ट्रियों की छानबीन –
जब मौत का आंकड़ा 14 पहुंच गया तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 6 राज्यों में दवा फैक्ट्रियों की गहन छानबीन शुरू कर दी है।
WHO ने जारी किया था अलर्ट –
लेकिन क्या ऐसा पहली बार हुआ है जब भारत में बने कफ सिरप ने लोगों की जान ली है? इसका जवाब है नहीं। अगर आपको याद हो तो साल 2022 में भी वेस्ट अफ्रीकी देश गांबिया में हरियाणा की मेडेन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड द्वारा निर्मित कफ सिरप पीने से 66 बच्चों की मौत हुई थी। इस घटना के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत के बने कई कफ सिरप को लेकर अलर्ट जारी किया था।