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MP Cough Syrup Scandal : मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जबलपुर दौरा दिया रद्द, छिंदवाड़ा हुए रवाना, जीतू पटवारी हैं वजह?

MP Cough Syrup Scandal : मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जबलपुर दौरा दिया रद्द

MP Cough Syrup Scandal : मध्यप्रदेश। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जबलपुर दौरा रद्द कर दिया। वे छिंदवाड़ा के लिए रवाना हो गए। हल ही में असम से लौटे मुख्यमंत्री का जबलपुर दौरा प्रस्तावित था लेकिन ऐन मौके पर बदलाव हो गया।

बताया जा रहा है कि, कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी द्वारा कोल्ड्रिफ कफ सिरप से मरने वाले 16 बच्चों के परिवारों से मिलने के कुछ ही घंटों बाद, मुख्यमंत्री मोहन यादव भी पीड़ितों के परिजनों को सांत्वना देने के लिए छिंदवाड़ा रवाना हो गए।

विपक्ष की तैयारियों को देखते हुए, मुख्यमंत्री यादव ने जबलपुर का अपना प्रस्तावित दौरा रद्द कर दिया और तुरंत छिंदवाड़ा का दौरा तय कर लिया।

सख्त कार्रवाई का आश्वासन –

उन्होंने परासिया गांव में मृतक बच्चों के शोक संतप्त परिवारों से मुलाकात की और उन्हें सांत्वना दी। उन्होंने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया।

50 लाख रुपये मुआवजे की मांग –

मोहन यादव सरकार ने पीड़ितों के परिवारों को 4 लाख रुपये की सहायता राशि देने की भी घोषणा की है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, जिन्होंने 9 बार लोकसभा में छिंदवाड़ा का प्रतिनिधित्व किया है, ने प्रत्येक शोक संतप्त परिवार के लिए 50 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की है।

गहन जांच के लिए एक समिति गठित –

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार और लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह भी शोक कार्यक्रम में शामिल हुए। राकेश सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने क्षेत्र में सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया है और इसकी गहन जांच के लिए एक समिति गठित की गई है।

केवल डॉक्टरों को गिरफ्तार करना पर्याप्त नहीं –

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी सोमवार सुबह शोक संतप्त परिवारों को सांत्वना देने परासिया पहुँचे। उन्होंने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि केवल डॉक्टरों को गिरफ्तार करना पर्याप्त नहीं होगा और उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे के साथ-साथ दवा कंपनी और सभी ज़िम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माँग की।

विपक्ष के नेता उमंग सिंघार ने राज्य विधानसभा में गंभीर चिंता व्यक्त की और सरकार पर असंवेदनशीलता का आरोप लगाया। उन्होंने प्रत्येक प्रभावित परिवार को तत्काल 10 लाख रुपये का मुआवज़ा देने और औषधि नियंत्रक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। विभिन्न दलों के नेताओं ने भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए कड़ी निगरानी और व्यवस्थागत सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया।

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